शरीर में अकड़न, कमजोरी, याददाश्त में हैं कमी तो हो जाएं सतर्क!

 न्यूरोलॉजिस्ट कौन होता हैं ?

 एक न्यूरोलॉजिस्ट की पहचान हम निम्न बातो को पढ़ कर लगा सकते हैं..,

एक न्यूरोलॉजिस्ट मस्तिष्क और तंत्रिका प्रणाली के रोगों के निदान और उपचार में विशेषज्ञ माना जाता है।

वे न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर, सीखने की अक्षमता और अन्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित स्थितियों जैसी बीमारियों का भी इलाज करते हैं।

न्यूरोलॉजिस्ट मस्तिष्क के उपचार के क्षेत्र में काम करता है। वे मस्तिष्क, स्पाइनल कॉर्ड, नसों तथा मांसपेशियों की स्थिति पर नजर भी रखते है और उनके रोगों की पहचान कर उनका निदान करते है।

न्यूरोलोजी में कौन-कौन सी बीमारियां आती हैं ?

 न्यूरोलोजी में बहुत सी बीमारिया आती हैं, जैसे,..

० बोलने में अंतर का आना।

० शारीरिक असंतुलन का बिगड़ना।

० शरीर में अकड़न का आना।

० कमजोरी का होना।

० याददाश्त में कमी का आना।

० उठने, बैठने चलने में परेशानी का अनुभव होना।

० शरीर में कंपन का होना।

० मांसपेशियों का कठोर हो जाना इत्यादि।

कारण क्या हैं मानसिक रोग या न्यूरोलोजी के ?

इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। जैसे,..

> अत्यधिक मानसिक चिंतन।

> नर्वस सिस्टम की बीमारियों में अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया, मिर्गी, सेरेब्रोवास्कुलर बीमारियां जैसे माइग्रेन, स्ट्रोक और

अन्य सिरदर्द शामिल हो, तब भी हम कह सकते है की ये कारण हो सकता है इस बीमारी के पैदा होने का।

लक्षण क्या है न्यूरोलॉज़ी के बीमारी की?

 सिर, गर्दन, पीठ या शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द का होना।

  • अंगों का फड़कना ।
  • आंखों की रोशनी का कमजोर होना, चक्कर आना और बोलने या निगलने में परेशानी।
  • दौरे पड़ना, अंगों का मरोड़ना।
  • मांसपेशियों में अकड़न, याददाश्त या मानसिक क्षमता का कमजोर होना इत्यादि।

यदि लक्षणों के हिसाब से आप बीमारी को जान चुके हो तो बिना देर किये बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना के संपर्क में आए।

इस बीमारी से निजात पाने का इलाज क्या हैं ?

  • न्यूरोलॉजी चिकित्सा विज्ञान की एक शाखा है जो मस्तिष्क और उसके विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होती है। यह उन स्थितियों के उपचार पर केंद्रित है जो तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित करती हैं और मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारियों का निदान भी करती हैं।
  • इसके विभिन्न लक्षणों को ध्यान में रखते हुए भी हम इस बीमारी से निजात पा सकते हैं।
  • इस बीमारी के लिए किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट से जरूर सलाह ले।
  • तो वही अगर इस बीमारी के बारे में पता लगाना है तो एमआरआई, सीटी स्कैन, ईईजी, ईएमजी, एनसीवी तथा पैथोलोजी में रक्त की अनेक जाँच आपको करवानी चाहिए ताकि आपको बीमारी का सही से पता चल सके।

यदि आप वाकई में अपनी इस बीमारी का इलाज करवाना चाहते हैं, तो झावर न्यूरो हॉस्पिटल के डॉक्टर से इसके बारे में जरूर सलाह ले। क्युकि यहाँ के डॉक्टर्स इस बीमारी के इलाज करने में काफी सालो के अनुभवी है, जिस वजह से आपको सलाह भी अच्छी मिलेगी और अगर आप अपना इलाज यहाँ से करवाना चाहोगे तो आपका इलाज भी काफी अच्छे तरीके से किया जाएगा।

निष्कर्ष :

मानसिक रोग ने यदि आपको भी अपनी चंगुल में ले रखा है तो घबराए न बल्कि किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लेकर इसका इलाज जरूर करवाए। क्युकि शुरुआती लक्षणों को देखते हुए आप इस पर रोक लगाकर इससे निजात पा सकते है नहीं तो बाद में काफी परेशानी बन कर खड़ी हो सकती है ये आपके लिए। इसलिए बिना समय गवाए अपने स्वस्थ की तरफ ध्यान देना शरू कर दे।

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Some common neurological disorders in newborns.

The neurological abnormalities that many newborn babies face are that their parents are ignorant of them. When a child exhibits symptoms indicative of a neurological problem, their patients typically approach it as a general health concern and begin therapy with a general practitioner rather than a neurosurgeon. To assist you in determining whether you or your child is experiencing a neurological disease, we will discuss a few warning signals in this piece.

 

What are the neurological disorders in newborns? 

Numerous factors, such as genetic diseases, prenatal exposure to chemicals or infections, birth issues, prematurity, and postnatal injuries, can result in neurological problems in newborn kids. Contact the best neurologist in Punjab who offers a satisfying neurological treatment. 

 

What are some common neurological issues in newborn babies? 

Among the typical neurological issues that babies encounter are:

  • Cerebral palsy: A set of conditions known as cerebral palsy impact muscular coordination and movement. Damage to the developing brain, either prenatally or throughout infancy, is frequently the cause of it.
  • Hypoxic-ischemic encephalopathy: This disorder is caused by the brain being oxygen- and blood-starved after birth, which damages the brain. If left untreated, it may cause long-term neurological impairments.
  • Intracranial Hemorrhage: Trauma sustained during birth, brittle blood arteries, or coagulation issues can all result in bleeding inside the skull. Neurological issues may arise from a bleed, depending on its location and severity.
  • Hydrocephalus: Increased pressure in the brain is brought on by a build-up of cerebrospinal fluid, a condition known as hydrocephalus. It may be acquired or congenital, and surgery may be necessary to release pressure on the brain.
  • Neonatal Seizures: Several conditions, such as brain abnormalities, infections, or metabolic issues, can result in seizures in neonates. Timely diagnosis and treatment are essential to avoid permanent brain damage.
  • Neonatal Stroke: Although they are uncommon, strokes can occur in newborns and, depending on the area of the brain damaged, may result in neurological impairments.
  • Neonatal Infections: If a baby has an infection, such as meningitis or encephalitis, and is not identified and treated immediately, it may have neurological consequences.
  • Genetics disorders: Some genetic disorders can impact a person’s neurological development from birth, resulting in problems including metabolic disorders, down syndrome and Tay-Sachs disease. 
  • Prematurity: A premature delivery raises the risk of periventricular leukomalacia, intraventricular hemorrhage, developmental delays, and other neurological issues. 
  • Neonatal Hypoglycemia: If left untreated, low blood sugar levels in the early postpartum period can cause neurological symptoms like seizures or cognitive abnormalities.

 

Warning signs of neurological issues.

There are several symptoms doctors see in newborns during neurological issues, and some are as follows:

  • Abnormal muscle tone: Neurological issues indicated by the stiffness and floppiness of the muscles, especially in the arms and legs. 
  • Feeding issues: Infants with neurological disorders have trouble synchronizing their sucking and swallowing actions, which can result in poor weight growth, feeding difficulties, or choking incidents.
  • Abnormal Reflexes: Lack or abnormality in reflexes such as the rooting, sucking, or Moro reflexes may indicate neurological problems.
  • Seizures: Abnormal movements, staring spells, repetitive movements, or abrupt behavioral changes can all be signs of newborn seizures.
  • Excessive Weeping or Angry Behavior: Extended weeping or agitated behavior that does not go away with food, nappy changes, or cuddles may indicate discomfort or neurological discomfort.
  • Improper head circumference: Hydrocephalus or abnormally big and small head circumference indicates inappropriate brain development. 
  • Breathing Difficulties: Abnormal breathing patterns, breathing pauses, or breathing difficulties may indicate neurological issues affecting the brainstem, which regulates breathing.

If you are looking for a Neurosurgeon in Ludhiana, contact the Jhawar Neuro Hospital.

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जानिए नस की बीमारी होने पर खुद से दवा लेना कैसे भारी पड़ सकता है ?

नसों का हमारे शरीर में महत्वपूर्ण स्थान होता है, क्युकी ये हमारे शरीर की रक्त की धाराओं को सम्पूर्ण शरीर में प्रयाप्त मात्रा में पहुंचाती है, पर जरा सोचें अगर किसी कारण इनमे किसी तरह की परेशानी आ जाए तो कैसे हम इस तरह की समस्या से खुद का बचाव कर सकते है। वही बहुत से लोगों के मन में आज ये सवाल होगा की सामान्य नसों में परेशानी होने पर खुद से दवाई ले या न ले, तो ऐसे प्रश्नो के बारे में हम आज के आर्टिकल में चर्चा करेंगे, इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े ;

नस क्या होते है ?

  • नसें रक्त वाहिकाएं होती हैं जो रक्त को हृदय की ओर ले जाती है। वही मानव शरीर में दो प्रकार की नसें होती है, पहली गहरी नसें और दूसरी सतही नसें। 
  • वही गहरी नसों की बात करें तो ये नसें शरीर के भीतर गहरी स्थित होती है, जबकि सतही नसें त्वचा की सतह के करीब स्थित होती हैं और अक्सर दिखाई देती हैं।

नसों की कमजोरी क्या है ?

  • नसों की कमजोरी को मेडिकल के टर्म में न्यूरोपैथी के नाम से जाना जाता है। वहीं, बात जब संपूर्ण शरीर की नसों की कमजोरी की हो रही हो, तो उसके लिए मेडिकली टर्म के रूप में इसे पेरिफेरल न्यूरोपैथी कहा जाता है। 
  • नसों की बात की जाए तो ये शरीर में किसी कम्प्यूटर के वायर की तरह काम करती है, जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं को करने के लिए दिमाग तक संदेश पहुंचाती है। वही जब किसी वजह से ये नसें दिमाग तक ठीक तरह से संदेश पहुंचाने में विफल होती है या फिर नहीं पहुंचा पाती है, तो इसे ही नसों की कमजोरी के रूप में जाना जाता है। 

नसों में कमजोरी के लक्षण है ?

  • स्मरण शक्ति में क्षति का पहुंचना। 
  • सिर दर्द की समस्या। 
  • मांसपेशियों में अकड़न की समस्या। 
  • पीठ में दर्द की समस्या। 
  • झटके या दौरे का पड़ना। 

कारण क्या है नसों के कमजोरी के ?

  • किसी तरह की बीमारी का होना। 
  • किसी वजह से नसों पर दबाव का पड़ना। 
  • जेनेटिक समस्या का होना। 
  • दवाओं के दुष्प्रभाव, पोषण तत्वों में कमी या विषाक्त पदार्थ के कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है। 

नसों में कमजोरी के कारणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करें। 

क्या नसों की बीमारी होने पर हम खुद से दवाई ले सकते है ?

  • नसों का हमारे शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए अगर इनमे किसी भी तरह की समस्या आ जाए तो खुद से या किसी के कहने से दवा का सेवन न करें। बल्कि आपको नसों में कमजोरी महसूस हो रही है तो इसके लिए आप न्यूरो विशेषज्ञों से करें। 

नसों की कमजोरी को कैसे दूर किया जा सकता है ?

  • नियमित व्यायाम, उचित आराम, उचित स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति और उचित और संतुलित आहार खाने से नसों की कमजोरी को ठीक किया जा सकता है।

नसों की कमजोरी की जाँच व इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

  • अगर आप भी नसों के कमजोरी की समस्या का सामना उपरोक्त जैसे कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

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  • November 18, 2024

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What Is Neuropathic Pain, And What Causes Neuropathic Pain?

Neuropathic pain

Neuropathic pain is when your nervous system is damaged and not working, so pain occurs from various levels of the nervous system, such as the spinal cord, peripheral nerves, and brain. Peripheral nerves, which include multiple parts of the body such as the leg, arm, finger, toes, etc. which places spread pain 

Causes of neuropathic pain 

Neuropathic pain can be caused by diseases such as;

  • HIV infection 
  • Alcoholism 
  • Diabetes 
  • Stroke facial nerve system 
  • Chemotherapy drug 
  • Radiation therapy 
  • Spine nerve inflammation
  • Trauma  

Neuropathic mouth pain 

Pain occurs in the nervous system. Some causes of neuropathic pain, such as trigeminal neuralgia, atypical odontalgia, oral nerve injury, and complex regional pain syndrome, are neuropathic pain terms in the orofacial region. When you suffer from pain, your facial expression tells about pain doctors suspect this pain occurs from dental issues.

Trigeminal neuralgia

Pain occurs from severe facial pain and chronic pain such as jaw and forehead. The most common orofacial neuropathic pain is trigeminal neuralgia. Pain affects the Fifth cranial nerves, which means that nerves provide pain through nerves that signal parts of the brain and face. When your blood vessel contacts, the nerve root enters the brain stem. 

Symptoms of trigeminal neuralgia

  • Sudden pain
  • One side face pain 
  • Burning and aching sensation  
  • Intense pain 
  • Pain attack for a few seconds 
  • Numbness  
  • Pain occurs from regularly 

Complex regional pain syndrome (CRPS)

Reflex sympathetic dystrophy syndrome is also known as complex regional pain syndrome. Pain rarely comes from the nervous system—the craniofacial region affected by CRPS, like the arm and leg. CRPS1 relates to tissue injury and refers secondly to the nerve system. The pain you can explain is like a burning sensation because of changes in skin temperature, color, swelling, and increased skin sensitivity.   

Symptoms of CRPS 

  • Stiffness 
  • Change the color of skin, hair, and nail 
  • Burning pain in arm and leg 
  • Pain intensity 

Oral nerve injury 

When inferior alveolar and lingual nerves occur from dental or medical procedures, sensations show through facial structures such as teeth, oral mucus, and skin. Tooth extraction causes inferior alveolar and lingual nerve damage. In that case, consulting a dentist in Punjab would be the best option.

Symptoms of oral nerve injury

  • Pain and burning sensation  
  • Numbness of the tongue 
  • Tangling upper and lower lips 

Atypical odontalgia 

Eating hot and cold food, drinking, chewing, and biting makes you feel a typical toothache sensation. That is atypical odontalgia pain. When you do not relieve tooth aching, the doctor injects your tooth with a local anesthetic injection. Then you ease the pain. This situation could be more complex for patients and the dentist when they give dental treatment to patients. 

Causes of atypical odontalgia 

Atypical odontalgia does not have any known apparent causes. Some clinics say that pain is idiopathic. It may occur from various factors such as genetics, age, sex, and predisposition. It is prevalent for men and women. Most suffer from middle-aged people.

When you suffer from atypical odontalgia, dentists treat medications, such as tricyclic antidepressants, most used in this condition. It helps to reduce the pain but does not cure properly. 

If you are experiencing facial or dental pain, you can seek help from a trusted Dental Clinic

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  • November 18, 2024

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How Mental Health and Psychological Disorder affect our Quality of Life?

Mental Health and Neurological Disorders

There are two conditions that affect our thoughts and behavior, mental and neurological. These two disorders are a burden for us. Depression, anxiety attacks, schizophrenia, dementia, and drug abuse are the causes of mental health and neurological disorders. 

Mental Health enables individuals to cope with the stresses of life. People who can cope well with stress  are capable of contributing to society and are considered to be mentally healthy.

Many of us avoid discussions related to mental health. We even ignore our inner need to be mentally active and fit. According to the best Counseling Centre, lifestyle is crucial in maintaining mental health.

This article will highlight the features of mental health and neurological disorders.

Mental Health Disorders

  • Depression: It happens when you are sad, irritable, empty, or lose interest in activities you enjoy the most. Depression severely affects your ability to be social and interactive. It compromises your personal life, health, education, and work life. Severe cases of depression have concluded in suicides. 
  • Dementia: it is a loss of cognitive functioning like thinking and remembering. Some with dementia cannot control their emotions and may change in their personality. 
  • Alzheimer’s Disease:, The most common type of dementia. It destroys brain cells and their associating nerves. It also interferes with neurotransmitter functions. It compromises the brain’s memory system. With its progress, AD deteriorates the patient’s capacity to think, communicate, and remember.

Risk Factors of Mental and Neurological Disorders

  • Genetics
  • Tobacco and alcohol intake
  • Unhealthy lifestyle and diet.
  • Lack of physical activity.

Tips to Prevent both Mental and Neurological disorders

  • By adopting a healthy lifestyle.
  • Nutritious diet
  • Abstaining alcohol and tobacco
  • Enhanced Physical Activity.

How to Treat Mental and Neurological Disorders

If you want to get these disorders treated, you must consult the best Counseling Centre for the best therapies. They have helped many people get relief from their neurological and mental disorders. Many therapies are available to treat your mental and neurological conditions, which may give you some relief.

Mental issues are such things that need extensive and effective therapies to help a person feel better about themselves. 

Here are some of the therapies or changes one can bring to feel better in these conditions:

  • Lifestyle changes to minimize or avoid the effects of these conditions.
  • Physiotherapy to manage the symptoms and retain some functions.
  • To prevent the worsening or advancement of these disorders, one can have prescribed medication to get some relief.

Cognitive Behavioral Therapy

Also known as talk therapy, this treatment focuses on reorientating a patient’s thoughts and behavior on their disability. It has been effective on disorders like ADHD, Moods swings, etc. It has no side effects compared to the drugs used to combat such conditions.

Doctors and licensed therapists can perform this therapy. People usually opt for this therapy as it is non-invasive. 

CBT consists of sessions conducted by the therapists in which they interact with the patient and make it more engaging for them. You can freely talk to the therapists and get a solution. The therapists can keep you engaged with active listening techniques and directed questions.

Mental health is a serious thing one should always care for. Our quality of life depends on our mental status.

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  • November 18, 2024

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क्यों हकलाता है आपका बच्चा? जानें इसके लक्षण और इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है?

हकलाने की समस्या जोकि हम छोटे बच्चों में अकसर देखते है पर जरा सोचे अगर आपका बच्चा बड़ा जो जाए उसके बाद भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहा हो तो कैसे हम ऐसे में बच्चे का बचाव कर सकते है। वही छोटे बच्चों में हकलाने के क्या है कारण, प्रकार और कैसे लक्षणों की मदद से हम इस तरह के बच्चों को ठीक कर सकते है इसके बारे में आज के आर्टिकल में बात करेंगे ;

क्या है हकलाने की समस्या ?

  • हकलाना जिसे अंग्रेजी में स्टैमरिंग या स्टटरिंग कहा जाता है, जो एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है। वही इस कंडीशन में व्यक्ति सामान्य रूप से बोल पाने की क्षमता को खो देता है। इसमें आमतौर पर व्यक्ति सामान्य रूप से बोलने की जगह बोलते समय किसी शब्द या अक्षर को बार-बार बोलने लगता है या फिर शब्द की ध्वनि को लंबा बना देते है। 
  • हकलाने से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर 4 से 7 साल के बच्चों में देखी जाती है। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे शब्दों को जोड़कर और उनका वाक्य बनाकर बोलना सीखने लगते है।

यदि आप या आपके बच्चे में हकलाने की समस्या उत्पन्न हो गई है तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करना चाहिए।

हकलाने की समस्या के कारण क्या है ?

  • सबसे पहले तो इसके कारण में फैमिली हिस्ट्री शामिल है। 
  • फिर न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर का आना।  
  • स्पीच सुनने या लैंग्वेज को समझने में दिक्कत का आना भी इसके एक कारण में शामिल है।

हकलाने के लक्षण क्या है ?

  • हकलाने के लक्षणों में सबसे पहले तो व्यक्ति किसी भी बात को शुरू करने से पहले डरता है और बात करते वक़्त वो हिचकिचाहत महसूस करता है। 
  • रुक-रुक कर बोलना, एक ही शब्द को बार-बार बोलना, तेज बोलना, बोलते हुए आंखें भींचना, होठों में कंपकपाहट होना, जबड़े का हिलना आदि। उच्चारण की समस्या होना और साफ न बोल पाना।

हकलाने के प्रकार क्या है ?

  • डेवलपमेंटल स्टैमरिंग, यह हकलाने का सबसे आम प्रकार है, जो आमतौर पर बचपन के शुरुआती दौर में देखा जाता है।
  • एक्वायर्ड स्टैमरिंग, इसे लेट स्टैमरिंग कहा जाता है, इसके अन्य कुछ प्रकार भी हैं जैसे –
  • न्यूरोजेनिक स्टैमरिंग, यह आमतौर पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण होता है।
  • साइकोजेनिक स्टैमरिंग, यह हकलाने की समस्या का एक असामान्य प्रकार है, जिसका मतलब है कि इसके मामले कम देखे जाते है।

हकलाने का इलाज क्या है ?

  • हकलाने की समस्या का इलाज अनुभवी डॉक्टर स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपिस्ट के द्वारा करते है, जिसमें वे मरीज के हकलाने की समस्या में सुधार करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते है। 
  • वही व्यक्ति को अगर किसी प्रकार की भावनात्मक समस्या के कारण हकलाने की समस्या हो रही है, तो अन्य साइकोलॉजिकल थेरेपी की मदद से स्थिति का इलाज किया जाता है। हालांकि, हकलाने की समस्या का इलाज आमतौर पर मरीज की उम्र, लक्षणों और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। 

सुझाव :

अगर आपका बच्चा कुछ ज्यादा ही हकला रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द ही डॉक्टर के संपर्क में आना चाहिए और इसके इलाज के लिए आपको झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

हकलाने की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, वही बाल्यावस्था में इस तरह की समस्या अगर बच्चों को हो जाए तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन ये समस्या अगर युवावस्था में हो जाए तो व्यक्ति को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है जिस वजह से कई दफा वो डिप्रेशन में भी चला जाता है। वही इस तरह की समस्या का खात्मा जड़ से तो नहीं किया जा सकता लेकिन हां समय पर पता चलने पर इलाज के दौरान व्यक्ति को फ़ायदा दिलवाया जा सकता है।

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क्या है नर्व सम्बन्धी समस्याएं और इसके लिए किस तरह के न्यूरोलॉजी अस्पताल का चयन करें !

नर्व सिस्टम जिसे तन्त्रिका तन्त्र के नाम से भी जाना जाता है और इसमें किस तरह की समस्या आती है और ये हमारे शरीर में कौन सी भूमिका निभाते है। इसके अलावा नर्व सिस्टम के लिए कौन सा हॉस्पिटल सही रहेगा इसके बारे में बात करेंगे, तो अगर आप भी नर्व सिस्टम के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो इसके लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ;

क्या है नर्व सिस्टम ?

  • जिस तन्त्र के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र या नर्व सिस्टम कहा जाता है। 
  • वही तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलने वाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है। इसके अलावा तन्त्रिका कोशिका, तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई भी मानी जाती है।

नर्व सम्बन्धी समस्याएं क्या है ?

  • न्यूरोपैथी एक मेडिकल शब्द है जिसका प्रयोग नसों के अलग अलग विकारों के लिए किया जाता है। वही नसों में कमजोरी की समस्या कुछ लोगों में थोड़े समय के लिए होती है तो कुछ लोगों में काफी लंबे समय तक बनी रहती है। 
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं या डिसऑर्डर्स, सेंट्रल और पेरीफेरल नर्वस सिस्टम के रोग है। सेंट्रल और पेरीफेरल नर्वस सिस्टम में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, क्रेनियल नर्व्ज़, नर्व रूट्स, पेरीफेरल नर्व्ज़, ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम, न्यूरोमस्कुलर जंक्शन और मांसपेशियां शामिल है। नर्वस डिसऑर्डर्स आमतौर पर नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले वायरल, बैक्टीरियल, फंगल और पैरासिटिक संक्रमण के कारण होते है।

बेस्ट न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल !

  • नर्व सम्बन्धी किसी भी तरह की समस्या का यदि आप सामना कर रहें है तो इन समस्याओं से बचाव के लिए आपको झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। वही इस हॉस्पिटल के अनुभवी डॉक्टरों व न्यूरो सर्जन की मदद से आप इस तरह की समस्या से खुद का बचाव आसानी से कर सकते है। 
  • इसके अलावा नर्व संबंधी समस्याओं से भी आप आसानी से छुटकारा पा सकते है यदि आप इस हॉस्पिटल का चयन करते है।

हॉस्पिटल का चयन करने से पहले इस बात का भी ध्यान रखें की आप जो भी नर्व सम्बन्धी समस्या के लिए हॉस्पिटल का चयन करें वहां पर लुधियाना का बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट जरूर होना चाहिए।

हॉस्पिटल का चयन करने से पहले किन बातों का ध्यान रखें !

  • सबसे पहले तो हॉस्पिटल का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें की हॉस्पिटल की रेप्युटेशन कैसी है। 
  • इसके बाद अस्पताल में काम कर रहे न्यूरोलॉजिस्ट और अन्य स्टाफ सदस्यों की योग्यता और अनुभव की जांच करें। 
  • न्यूरोलॉजी अस्पतालों की तलाश करें जिनमे विभिन्न प्रकार की न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के इलाज में एडवांस डिग्री, प्रमाणपत्र और अनुभव प्राप्त हो।
  • खास बात अस्पताल के द्वारा प्रदान किए जाने वाले उपचार और सेवाओं की श्रेणी पर विचार करें। वही चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, और नॉन-इनवेसिव प्रक्रियाओं सहित विभिन्न उपचार विकल्प प्रदान करने वाले अस्पतालों की भी तलाश करें।
  • वही अस्पताल की सुविधाओं और उपकरणों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना भी बहुत जरूरी है, ताकि आप या आपके किसी करीबी को उपचार की मौजूदगी न होने पर किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े ।
  • अस्पताल के स्थान पर जरूर विचार करें, ऐसा इसलिए क्युकि कई दफा स्थिति गंभीर हो जाती है जिसके चलते अगर हॉस्पिटल दूर है या बहुत ही घुमावदार मोड़ पर है तो ऐसे हॉस्पिटल का चयन करने से बचे।

 

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न्युरोलजी: जानें हाथ कांपने की समस्या किस बीमारी की और इशारा करती है !

कुछ लोगों को सामान पकड़ते समय, या कुछ लिखते समय या अन्य काम करते समय हाथ कांपने की दिक्कत होती है।

तो वही कुछ लोगों को पता ही नहीं चलता की ये समस्या क्यों होती है। इसके अलावा आज के लेख में हम बात करेंगे की हाथ कांपने की समस्या क्यों होती है, और हाथ का कांपना किस बीमारी की और इशारा करता है इसलिए इसके बारे में जानने के लिए आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ; 

क्यों होती है हाथ कांपने की परेशानी ?

  • अगर किसी भी व्यक्ति के साथ इस तरह की दिक्कत हो तो वो ब्रेन की ऐक्टिविटीज से जुड़ी होती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब शरीर की कुछ खास कोशिकाएं किसी भी चोट या बीमारी के कारण दब जाती हैं, तब व्यक्ति में इन दिक्कतों की शुरुआत होती है।
  • वही हाथ कांपने की दूसरी समस्या तब उत्पन होती है जब आप चिंतित या क्रोधित हो जाते हैं। 
  • वही अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहें है तो इससे निजात पाने के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करना चाहिए।

किस बीमारी की वजह से हाथ कांपने की समस्या उत्पन होती है ?

  • ये एक विल्सन डिजीज है। ये बीमारी व्यक्ति को अचानक से नहीं होती है। यह एक दिमाग का रोग है। 
  • वही चोट के अलावा इस बीमारी के कारण वंशानुगत भी हो सकते हैं। जैसे अगर माता-पिता में ये बीमारी होगी तो बच्चों में इस समस्या के उत्पन होने की ज्यादा संभावना होती है।

किन कार्यो को करते वक़्त हाथ कांपने की होती है समस्या ?

  • जिन लोगों को हाथ कांपने की दिक्कत होती है वे कैंची का उपयोग करने, सुईं में धागा डालने, सब्जी काटने, लिखने, देर तक टाइपिंग करने जैसे कुछ कामों को करने में दिक्कत का अनुभव कर सकते हैं, और ऐसे लोगों को हाथों और ब्रेन के बीच अधिक सामंजस्य बनाए रखने की जरूरत होती है।

बिना वजह हाथ कांपने की समस्या क्यों उत्पन होती है ?

  • कुछ अनुभवी डॉक्टरों का कहना है कि बिना वजह हाथ का कांपना तंत्रिका तंत्र में समस्या है और यह समस्या व्यक्ति को बहुत ज्यादा तनाव में भी डाल सकती है। 

हाथ कांपने की समस्या को कैसे सुधारा जा सकता है ?

  • लाइफस्टाइल को व्यवस्थित कर या हाथों से जुड़े व्यायाम करके इस स्थिति को सुधारा जा सकता है। रक्त प्रवाह बाधित न हो, इसका आपको खास ख्याल रखना है।
  • इसके अलावा हाथ सामान्य कार्य करते वक़्त भी कांप रहें है तो इसको नज़रअंदाज़ न करें बल्कि समय रहते डॉक्टर का चयन करें। वही किसी व्यक्ति में यह दिक्कत गंभीर रूप ले चुकी है तो दवाइयों और सर्जरी के जरिए इसका इलाज करें।
  • इसके अलावा इस समस्या के निदान के लिए आप फिजिशियन, न्यूरॉलजिस्ट, सायकाइट्रिस्ट से मिल सकते हैं। जिससे वो आपकी स्थिति के हिसाब से आपकी बीमारी से जुड़ी सलाह और दवाई आपको देंगे।

सुझाव :

अगर हाथ कांपने की समस्या आपके अंदर बीमारी का रूप धारण कर चुकी है तो इससे बचाव के लिए आपको झावर ब्रेन एन्ड स्पाइन हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

हाथ कांपने की समस्या सामान्य सी भी होने पर फ़ौरन डॉक्टर का चयन करें क्युकि इस समस्या का समय रहते इलाज करवा कर हम इस बीमारी का खात्मा जड़ से कर सकते है पर अगर ये समस्या ज्यादा बढ़ गई तो ये अपने साथ कई अन्य बीमारियों को जन्म दे सकती है। इसलिए इसके शुरुआती दौर में ही आप सतर्क हो जाए।

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तंत्रिका में दर्द का क्या है उपचार, प्रक्रिया, लागत और साइड इफेक्ट्स ?

तंत्रिका तंत्र व्यक्ति के शरीर में बहुत ही मत्वपूर्ण स्थान रखता है क्युकि शरीर का छोटे से लेकर बड़ा कार्य इसके द्वारा ही किया जाता है। शरीर को एक जगह से दूसरी जगह पर सन्देश को भेजना भी इसके द्वारा ही संभव हो पाता है। 

तो वही तंत्रिका के बिना हमारा शरीर कार्य करने में असमर्थ हो जाता है इसके अलावा अगर इसमें किसी भी तरह की परेशानी आ जाए तो कैसे हम खुद का इससे बचाव कर सकते है और तंत्रिका में दर्द की समस्या उत्पन हो जाए तो इसके उपचार, लागत और गलत प्रभाव क्या होंगे, इसके बारे में भी बात करेंगे। इसलिए इसको जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ; 

तंत्रिका में दर्द की समस्या क्यों उत्पन होती है ?

  • तंत्रिका में दर्द आमतौर पर एक चोट या बीमारी के कारण होता है जो आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) या आपकी मांसपेशियों और अंगों तक जाने वाली नसों को प्रभावित करता है। वही तंत्रिका में दर्द के सामान्य कारणों में शामिल हैं आपके मस्तिष्क, रीढ़ या नसों में चोट। 
  • दूसरी और नसों का दर्द, जिसे नसों का दर्द या न्यूरोपैथिक दर्द भी कहा जाता है, तब होता है जब कोई स्वास्थ्य स्थिति उन नसों को प्रभावित करती है जो आपके मस्तिष्क में संवेदनाएं ले जाती हैं।
  • तंत्रिका दर्द आपके शरीर में किसी भी तंत्रिका को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह आमतौर पर कुछ नसों को दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित करता है।

तंत्रिका दर्द का इलाज कैसे किया जाता है?‎

  • तंत्रिका दर्द का इलाज करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऐसी कई रणनीतियाँ हैं जिन्हें आप आज़मा सकते हैं, इसके इलाज में। तो वही अंतर्निहित कारण का इलाज करना, इसका पहला कदम है।
  • आपका डॉक्टर मधुमेह और विटामिन बी 12 की कमी जैसी किसी अंतर्निहित स्थिति का इलाज या प्रबंधन भी कर सकता है।
  • वही इसके इलाज के लिए कभी-कभी क्रीम, जैल, लोशन और पैच जैसे ‎सामयिक उपचार तंत्रिका दर्द से निपटने में मदद करते हैं। एक डॉक्टर ‎एंटीकोनवल्सेंट्स को एंटी-ड्रिंपेंट्स के साथ ‎तंत्रिका दर्द से पीड़ित रोगी को सलाह दे सकता है। 

क्या तंत्रिका में दर्द का कोई नुकसान भी है ?

  • इसके नुकसान में धुंधली दृष्टि, पसीना, शुष्क मुंह, बेचैनी, चक्कर ‎आना और रेसिंग दिल की धड़कन शामिल हैं। तो वही तंत्रिका दर्द ‎का इलाज करने के लिए प्रयुक्त एंटीकोनवल्सेंट दर्द और ‎चक्कर आना, सूजन पैदा करना जैसे नुकसान शामिल हैं। 

अगर तंत्रिका में दर्द के साइड इफेक्ट्स आपमें नज़र आने लगे तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करना चाहिए।

तंत्रिका में दर्द के इलाज का खर्चा कितना आता है ? 

  • तंत्रिका में दर्द से पीड़ित व्यक्ति का इलाज अगर दवाओं के ‎साथ किया जाए, तो इसकी कीमत 5000 रुपये से लेकर 20000 रुपये हो सकती है। ‎हालांकि, सर्जिकल और संबंधित प्रक्रियाओं के लिए, ‎एक व्यक्ति को अस्पताल और शहर के आधार पर 6-15 लाख का भुगतान करना पड़ ‎सकता है।

अगर आप भी तंत्रिका में दर्द की समस्या से परेशान है और इसका इलाज किफायती दाम में करवाना चाहते है तो इसके के लिए झावर न्यूरो ब्रेन एन्ड स्पाइन हॉस्पिटल का चुनाव जरूर से करें।

निष्कर्ष :

तंत्रिका में दर्द की समस्या से निजात पाने के लिए किसी अच्छे डॉक्टर का चयन जरूर से करें और इसके इलाज के लिए किसी भी तरह की दवाई को खुद से न ले बिना डॉक्टर के सलाह के।

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हाथों की कंपन की न्यूरोलॉजिकल बीमारी के बारे में जानें

हाथों की कंपन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है जो अनेक लोगों को प्रभावित करती है। यह सामान्यतया हाथों के बेचैनी और त्रांगुट से जुड़ी होती है। यदि आप इस समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट ज्ञानेन्द्र झावर (Jhawar Neuro) आपकी सहायता कर सकते हैं। इस लेख में, हम आपको हाथों की कंपन की न्यूरोलॉजिकल बीमारी के बारे में विस्तार से बताएंगे और यहां ज्ञानेन्द्र झावर के द्वारा उपलब्ध उपचार के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। चलिए, हम इस विषय की खोज करें और हाथों की कंपन की न्यूरोलॉजिकल बीमारी की दुनिया को समझें।


  1. हाथों की कंपन के कारण और प्रकार

हाथों की कंपन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से अधिकांश मामलों में यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी के लक्षण होते हैं। इसमें उम्र, उपयोग की गई दवाओं, स्ट्रेस, बीमारी या घाव के कारण भी शामिल हो सकते हैं। इस खंड में, हम इन कारणों की विस्तार से चर्चा करेंगे और आपको अलग-अलग प्रकार की कंपन के बारे में जानकारी देंगे।


  1. लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट और उपचार

लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट ढूंढना महत्वपूर्ण होता है जब आपको हाथों की कंपन की समस्या होती है। डॉ. ज्ञानेन्द्र झावर (Jhawar Neuro) लुधियाना के प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट में से एक हैं जो हाथों की कंपन और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के लिए प्रमाणित हैं। इस खंड में, हम आपको उनके बारे में अधिक जानकारी और लुधियाना में न्यूरोसर्जन के रूप में उपलब्ध उपचार की जानकारी प्रदान करेंगे।


  1. बच्चों के लिए न्यूरोलॉजी में महत्वपूर्ण भूमिका

बच्चों के न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना उचित देखा जाता है। इसके लिए, बेस्ट पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट का सहारा लिया जा सकता है। हम इस खंड में बच्चों के लिए न्यूरोलॉजी में महत्वपूर्ण भूमिका और लुधियाना में उपलब्ध बेस्ट पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट के बारे में चर्चा करेंगे।


  1. हाथों की कंपन का इलाज और उपचार

हाथों की कंपन का उपचार न्यूरोलॉजिकल समस्या के प्रकार और उसके कारण पर निर्भर करेगा। इस खंड में, हम आपको हाथों की कंपन के उपचार के विभिन्न आयुर्वेदिक, औषधीय और साइकोथेरेपी विकल्पों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।


  1. न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का बचाव और सावधानियां

न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को पहचानना और उन्हें बचाव करना महत्वपूर्ण है। हम इस खंड में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के बचाव के लिए महत्वपूर्ण सावधानियों के बारे में चर्चा करेंगे और आपको इन समस्याओं को संभालने के लिए उपयोगी सुझाव प्रदान करेंगे।

समापन

 विभिन्न उपचार विकल्पों की मदद से आप हाथों की कंपन को कम कर सकते हैं और इस समस्या से राहत पा सकते हैं। बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना डॉ. ज्ञानेन्द्र झावर (Jhawar Neuro) आपकी सहायता कर सकते हैं और इस समस्या को समझने, उपचार करने और संभालने में आपको मदद कर सकते हैं। आपके हाथों को स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए अपनी स्वास्थ्य को संभालने के लिए न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह लेना एक अच्छा कदम हो सकता है।

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