डाउन सिंड्रोम क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और कैसे करें उपचार ?

डाउन सिंड्रोम अनुवांशिक से जुड़ा एक विकार है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के पास एक अतिरिक्त गुणसूत्र का टुकड़ा होता है, जो विभिन्न शरीरिक और संज्ञात्मक से जुड़े समस्यों को उत्पन्न करने का कार्य करते है | जिसकी वजह से शरीरिक और मानसिक विकास में देरी, बौद्धिक से जुडी अक्षमताएं, चेहरे की विशिष्ट विशेषताएं जैसे की तिरछी आंखों का होना, एक सपाट नाक, हृदय से जुड़े कुछ दोष और थाइरोइड की समस्या आदि शमिल होते है | डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्तियों को कई तरह की समस्यों से गुजरना पड़ जाता है, कई लोग ऐसे भी होते है जो उचित समर्थन और संसधानों के साथ ही अपना पूरी ज़िन्दगी बिताते है | प्रारंभिक हस्तक्षेप कार्यक्रम और अवशोषण शिक्षा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते है और उन्हें समाज के प्रति सकारात्मक योगदान में सक्षम बना सकती है | यदि आप में कोई भी व्यक्ति ऐसे ही किसी स्थिति से गुजर रहा है तो इलाज के लिए आप न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | आइये जानते है डाउन सिंड्रोम कितने प्रकार के होते है :-   

डाउन सिंड्रोम कितने प्रकार के होते है ? 

डाउन सिंड्रोम मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है, जिनमें शामिल है :- 

 

ट्राइसोमी 21 

यह डाउन सिंड्रोम होने का सबसे आम प्रकार है, जिसके लगभग मामले 95 प्रतिशत होते है | यह सिंड्रोम होने वाले व्यक्तियों  में क्रोमोसोम 21 की अतिरिक्त टुकड़े के कारण उत्पन्न होता है | जिसकी वजह से शरीर में मौजूद प्रत्येक कोशिका में सामान्य दो के बजाए, कुल तीन टुकड़े बनने लग जाते है | आमतौर पर ट्राइसोमी 21 माता-पिता के प्रजनन कोशिकाओं के निमार्ण के दौरान उत्पन्न  होता है | जिसके परिणामस्वरूप निषेचित अंडे में अतिरिक्त गुणसूत्र 21 बनने लग जाते है | 

 

ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम

इस डाउन सिंड्रोम के मामले कम से कम 3 प्रतिशत तक ही सामने आते है | यह डाउन सिंड्रोम एक व्यक्ति को तब होता है, जब कोशिका विभाजन के दौरान क्रोमोसोम 21 का एक हिस्सा टूट जाता है और क्रोमोसोम का दूसरा हिस्सा, क्रोमोसोम 14 के साथ जाकर जुड़ जाता है | हालांकि शरीर में क्रोमोसोम की संख्या 46 तक होती है और यह अतिरिक्त अनुवांशिक मटेरियल डाउन सिंड्रोम की विशिष्ट विशेषताओं का कारण उत्पन्न होते है | 

 

मोज़ेक डाउन सिंड्रोम 

इस डाउन सिंड्रोम को सबसे अधिक दुर्लभ रूप माना जाता है, जिसके लगभग मामले 2 प्रतिशत तक होते है | मोज़ेक डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्तियों के शरीर में कोशिकाओं का मिश्रण हो जाता है, तो कुछ में क्रोमोसोम 21 के विशिष्ट 2 टुकड़ों या फिर अन्य तीन में विभाजित हो जाते है | इस तरह के मोज़ेक पैटर्न की उपस्थिति में निषेचन के बाद कोशिका विभाजन में हुए चूक के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है | जिसकी वजह से डाउन सिंड्रोम से जुडी शरीरिक और मानसिक विशेषतओं की डिग्री अलग-अलग होती है | 

 

डाउन सिंड्रोम होने के मुख्य लक्षण क्या है ?    

डाउन सिंड्रोम शारीरिक, विकासात्मक और समझने के लक्षणों का एक शृंखला को प्रस्तुत करता है | डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्ति में अपनी क्षमताओं और विशेषताओं में व्यापक रूप से भिन्न होते है, तो कुछ सामान्य लक्षण भी हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्ति में शारीरिक विकास सामान्य रूप से काफी धीमा हो जाता है | 
  • उनके सिर का आकार सामान्य से छोटा और असामान्य आकार का हो सकता है | 
  • चेहरे का आकार थोड़ा चपटा होता है और नाक भी चपटी होती है | 
  • आंख के अंदरूनी कोने गोल आकार के होते है और ऊपर की ओर पलके झुकी हुई होती है | 
  • जीभ भी इनके मुंह से बाहर की तरफ निकली रहती है | 
  • इनके हाथों के आकार छोटे और चौड़े होते है और हथेली में एक ही तेह मौजूद होती है | 
  • उनकी मांसपेशियां काफी कमज़ोर होती हैम, जिसके परिणामस्वरूप जोड़ भी काफी ढीले होते है | 
  • आंखों के रंगीन भाग में छोटे-छोटे सफ़ेद धब्बे मौजूद होते है आदि | 

 

डाउन सिंड्रोम होने के मुख्य कारण क्या है ?            

डाउन सिंड्रोम विशेष रूप से अनुवांशिक विसंगतियों से उत्पन्न होता है, जिसका सबसे आम कारण ट्राइसोमी 21 है, जिससे पीड़ितों के मामले लगभग 95 प्रतिशत तक होते है | आसान भाषा में बात करें यह कोशिका विभाजन के दौरान होने वाली एक अवशिष्ट त्रुटि होती है, जिससे नोडिसफंक्शन भी कहा जाता है | इस त्रुटि की वजह से अंडे या फिर शुक्राणु में गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त प्रतिलिपि होती है, जिसे अतिरिक्त गुणसूत्र को ट्राइसोमी 21 भी कहा जाता है | यह अतिरिक्त गुणसूत्र शरीर और मस्तिष्क के विकास में समस्या को पैदा कर सकती है | 

 

डाउन सिंड्रोम का कैसे करें इलाज ? 

हालांकि डाउन सिंड्रोम का विशेष रूप से कोई इलाज नहीं है, लेकिन इस स्थिति वाले व्यक्तियों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूर्ण करने के उद्देश्य से कई तरह के उपचार और हस्तक्षेपों से लाभ हो सकता है | इसके शुरुआती हस्तक्षेप कार्यक्रम में विकास का समर्थन करने और शारीरिक रूप से कौशल को बढ़ाने के लिए व्यावसायिक और भाषण चिकित्साएं को प्रदान किया जाता है | जैसे-जैसे डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्ति वयस्कता की ओर बढ़ते है, व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोज़गार सहायता उन्हें स्वतंत्रता प्राप्त करने और समाज से सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाती है | 

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी परिस्थिति से गुजर रहा है इलाज के लिए आप न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | हालांकि इस समस्या का पूर्ण रूप से इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह संस्था आपको प्रारंभिक हस्तक्षेप कार्यक्रम और अवशोषण शिक्षा प्रदान करने में मदद कर सकती है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर पंजाब के न्यूरोसर्जन में से एक है, जो पिछले 15 सालों से  डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्तिओं की परेशानियों को कम करने में पूर्ण रूप से मदद कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से संपर्क कर सीधा संस्था से बातचीत कर सकते है |                 

 

     

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बच्चों में ब्रेन ट्यूमर होने के प्रमुख कारण कौन-से है और जाने कैसे करें बाल चिकित्सा ब्रेन ट्यूमर की देखभाल

न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया कि आज के दौर में ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी समस्या बन चुकी है जिसे हर वर्ग के लोग इस समस्या से जूझ रहे है | पहले के समय में ब्रेन ट्यूमर के मामले सिर्फ वयस्कों में ही देखने को मिलते थे, लेकिन अब बच्चे भी इस समस्या का शिकार होने लग गए है |

 

अब अगर बात करें की ब्रेन ट्यूमर क्या होता है तो ब्रेन ट्यूमर या फिर ब्रेन कैंसर मस्तिष्क से जुड़ी एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसमें यह मस्तिष्क में होने वाली असामान्य कोशिकाओं का समूह होता है | हालाँकि ब्रेन ट्यूमर कैंसर युक्त भी हो सकता है और कैंसर रहित भी, इसलिए इससे पीड़ित मरीज़ को कुछ एहतियात को बरतना और देखभाल की बेहद आवशयकता होती है |   

 

डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर ने यह भी बताया की बच्चों में होने वाले ब्रेन ट्यूमर का केवल सर्जरी ही एकमात्र उपाय है | इसलिए यदि कोई भी बच्चा ब्रेन ट्यूमर की समस्या से गुजर रहा है तो इसमें न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के पास न्यूरोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम मौजूद है, जो इस एडवांस ट्रीटमेंट और नए तकनीकों के इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर जैसे गंभीर समस्या का इलाज करती   है | इसलिए आज ही न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक कराएं | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके आलावा आप न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी कर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है | 

 

   

 

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गर्दन में दर्द होने के मुख्य लक्षण कौन-सा है ? जाने एक्सपर्ट से कैसे करें गर्दन दर्द के लिए व्यापक देखभाल

न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में यह बताया कि आज के समय बदलती जीवनशैली के कारण से व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ जाता है, क्योंकि एक व्यक्ति के ख़राब रहन-सहन के तरीकों से उनके सेहत को काफी प्रभावित कर देता है | इन्ही बीमारियों में से होने वाली सबसे आम बीमारी है गर्दन में दर्द होना | गर्दन में दर्द को सर्वाइकलजिया की समस्या भी कहा जाता है | यह एक किस्म की ऐसी बीमारी जिससे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर वर्ग के लोग परेशान है | यह एक ऐसा दर्द होता है जिसमें आपके सिर के पीछे और उसके निचे वाली रीढ़ में तीव्र दर्द महसूस होने लग जाता है | आइये जानते है इसके प्रमुख लक्षण और कारण कौन-से है :- 

 

गर्दन में दर्द होने के प्रमुख लक्षण 

  • गर्दन में लगातार दर्द होना 
  • दर्द वाले क्षेत्र में जलन और चुभन जैसा अनुभव होना 
  • एक ऐसे दर्द का अनुभव होना जो आपके गर्दन से लेकर कंधे और बांह तक जाये 
  • गर्दन दर्द के साथ सिरदर्द का होना 
  • गर्दन के साथ-साथ पीठ में दर्द होना 
  • गर्दन को मोड़ने या हिलने से दर्द का उत्पन्न होना 
  • गर्दन को झुकाने में असमर्थ होना 

 

 गर्दन में दर्द होने के प्रमुख कारण 

  • उम्र का बढ़ना 
  • शारीरिक तनाव उत्पन्न होने से 
  • मानसिक तनाव उत्पन्न होने से 
  • गर्दन में किसी प्रकार की चोट लगने से 
  • ट्यूमर या फिर सिस्ट का उत्पन्न होना  

 

यदि आप भी गर्दन में दर्द और अकड़न से पीड़ित है तो घबराएं नहीं आप अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं है, आप जैसे और भी ऐसे कई लोग है जो इस समस्या से जूझ रहे है, लेकिन इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है | इसके लिए आप न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है, जो इस गर्दन छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए आज ही न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिये गये नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस समस्या संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |

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मस्तिष्क में बनने वाली गांठ हो सकती है जानलेवा, जाने ब्रेन ट्यूमर का कैसे किया जा सकता है इलाज

ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो घातक भी हो सकता है और गैर-कैंसरयुक्त भी, यह समस्या बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी को प्रभावित कर सकती है | चाहे ब्रेन ट्यूमर कैंसरयुक्त हो या फिर गैर-कैंसरयुक्त हो, दोनों ही मामलों में यह मस्तिष्क के कार्य करने वाली प्रणाली को काफी प्रभावित कर सकती है | कई बार यह इतने बड़े हो जाते है की मस्तिष्क के आस-पास की ऊतकों पर काफी दबाव पड़ने लग जाती है |

 

झावर हॉस्पिटल के न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया कि ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी गंभीर बीमारी होती है जो मस्तिष्क या फिर उसके आस-पास की कोशिकाएं में होने वाली अनियंत्रित वृद्धि की समस्या को उत्पन्न कर देती है | लेकिन यह ज़रूरी नहीं होता की हर ब्रेन ट्यूमर कैंसरयुक्त ही हो कुछ गैर-कैंसरयुक्त ब्रेन ट्यूमर भी होते है | हालाँकि ब्रेन ट्यूमर के बढ़ने से खोपड़ी पर काफी दबाव पड़ने लग जाता है, जिसे कारण ब्रेन डैमेज होने का खतरा रहता है और इसके साथ ही मृत्यु होने का जोखिम कारक भी बढ़ जाता है |    

 

ब्रेन ट्यूमर की समस्या तब उत्पन्न होती है जब मस्तिष्क के आसपास की कोशिकाओं के डीएनए परिवर्तित होने लग जाते है, हालांकि यह बात स्पष्ट नहीं हो पायी है की यह कोशिकाएं परिवर्ती क्यों होती है | कुछ जोखिम कारक होते है जो ब्रेन ट्यूमर या फिर कैंसर के खतरे को बढ़ावा दे सकते है | 

 

न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर यह भी बताया कि समय रहते ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को पहचान उसका इलाज किया जा सकता है | अगर देरी हुई तो इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की जान भी जा सकती है | इसलिए लक्षणों का पता लगते ही डॉक्टर के पास जाने में ही समझदारी है, ताकि जल्द से जल्द आपको इस बीमारी से मुक्ति मिल सके |   

 

यदि आपको ब्रेन ट्यूमर के लक्षण दिखायी दे रहे है और परीक्षण करवाना चाहते है तो इसके लिए आप न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर न्यूरोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है और इनके पास 15 से अधिक वर्षों का तज़र्बा है, जो ब्रेन ट्यूमर का इलाज कर इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाकर आज ही अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक कराएं | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |  

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए लिंक पर इस वीडियो को पूरा देखिए | इसके आलावा आप न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो उपलब्ध है |     

 

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मस्तिष्क के रोगों का अब जड़ से होगा निदान अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट का कहा अगर लोगे मान

मासिक रोग क्यों होता हैं ? 

  • मानसिक रोग क्यों होता हैं का पता लगाना मुश्किल है, लेकिन हा  कुछ लोगो का मानना हैं कि ये अत्यधिक तनाव की वजह से, समय सर खाना न खाने की वजह से,और गहन सोच की वजह से होता हैं .
  • अपने भविष्य को लेकर अत्यन चिंता भी कही ना कही मानसिक बीमारी को उत्पन करती हैं

न्यूरोलॉजिस्ट कौन होते हैं ?

  • न्यूरोलॉजिस्ट मस्तिष्क के उपचार के क्षेत्र में काम करता है। बता दे कि जो न्यूरोलॉजिस्ट होते हैं वे मस्तिष्क, स्पाइनल कॉर्ड, नसों तथा मांसपेशियों की स्थिति पर नजर भी ऱखते है और उनके रोगों की पहचान कर उनका निदान भी करते है।
  • न्यूरोलॉजिस्ट तकरीबन मानसिक उत्पीड़ा से शिकार लोगो की मदद करते हैं और अगर कोई व्यक्ति इस उत्पीड़न का शिकार है तो उसे लुधियाना में ही बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट से जरूर सलाह लेनी चाहिए . 

लक्षण क्या हैं मानसिक बीमारी के ?

यदि आपमें निम्नलिखित में से कुछ लक्षण दिखाई दे तो समझ लेना की आपको एक अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट के पास जानें की जरूरत हैं….

  • मांसपेशियों की थकान
  • पूरे सिर में भारीपन का लगातार अहसास होना 
  • संवेदनाओं या भावनाओं में बदलाव
  • संतुलन के साथ कठिनाइयाँ
  • सिर दर्द
  • भावनात्मक भ्रम
  • लगातार चक्कर आना

न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन में फर्क :

कुछ लोग न्यूरोसर्जन और न्यूरोलॉजिस्ट में फर्क को लेकर काफी गहन सोच में पड़े रहते हैं तो बता दे की आपके इस चिंतन का समाधान भी आज के इस लेखन में हम प्रस्तुत करेंगे, ताकि आपको परेशानी न हो और समय रहते  आप अपना इलाज किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्टसे से करवा सको….,,

  • बता दे कि जो एक न्यूरोलॉजिस्ट होते है वो मिर्गी, अल्जाइमर रोग, परिधीय तंत्रिका विकार और एएलएस जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के इलाज में रुचि रखते हैं।
  • तो वही दूसरी ओर, न्यूरोसर्जन मस्तिष्क की चोटों, ट्यूमर को हटाने और दीर्घकालिक बीमारियों वाले लोगों पर सर्जिकल ऑपरेशन करने के योग्य हैं।

इलाज क्या हैं अगर हम मानसिक उत्पीड़न से गुज़र रहे हो तो ?

  • खुद को सकारात्मक रखें 
  • वह कार्य करे जिससे आपको ख़ुशी मिले 
  • सदाबहार गाने सुने 
  • खुद की डाइट का ध्यान रखे 
  • अपने प्राथमिक चिकित्सक से सलाह लेकर अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट के पास जरूर जाए 

शैक्षिक योग्यता क्या होनी चाहिए एक न्यूरोलॉजिस्ट व न्यूरोसर्जन की: 

यहाँ एक बात गौरतलब करने योग्य है कि एक न्यूरोलॉजिस्ट और एक न्यूरोसर्जन के बीच के अंतर को समझने के लिए, आवश्यक डिग्री और विशेषज्ञता में अंतर को समझना सबसे पहले आवश्यक है….

  • बता दे कि एक न्यूरोलॉजिस्ट बनने के लिए चार साल के प्री-मेडिकल स्कूल की आवश्यकता होती है, इसके बाद न्यूरोलॉजी में मेडिकल डिग्री और मूवमेंट, स्ट्रोक आदि में अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता भी होती है।
  • तो वही दूसरी और न्यूरोसर्जन बनने का शैक्षिक मार्ग अधिक विस्तृत है, जिसके लिए चार साल के प्री-मेडिकल स्कूल और चार साल के मेडिकल स्कूल की आवश्यकता होती है। अन्य बातों के अलावा, न्यूरोसर्जन को यह सीखना चाहिए कि रीढ़ और परिधीय नसों पर कैसे काम करना चाहिए        
  • निष्कर्ष :

यदि आप पंजाब के वासी है तो एक बार डॉ. सुखदीप सिंह झावर  न्यूरोलॉजिस्ट से जरूर मिलें जो कि लुधियाना और फगवाड़ा में भी OPD करते है, यहाँ पर जरूर आए लेकिन अपने प्राथमिक चिकित्सक से सलाह लेकर ताकि आपको आपकी बीमारी का पता हो और उसका इलाज भी जल्दी हो सके और आपको परेशानी भी ज्यादा न हो और बता दे कि आप अपनी बीमारी के इलाज कि सलाह यहाँ के स्पेशलिस्ट डॉ. सुखदीप सिंह झावर से ले सके ,क्युकी इन्हें इस बीमारी के जाने माने चिकित्सक के रूप में जाना जाता हैं |

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डॉक्टर सुखदीप झावर ने दी ब्रेन स्ट्रोक और पुनर्वास के बारे में संपूर्ण जानकारी

न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया कि आज के समय में ब्रेन स्ट्रोक बीमारी का दर दिन-प्रतिदिन बढ़ते है, यह मानसिक स्थित से जुडी गंभीर समस्याओं में से एक है, जो मरीज़ के साथ-साथ उसके परिवार से लेकर पूरे सोसाइटी के लिए मेजर बर्डन बनते जा रहा है | ब्रेन स्ट्रोक के बारे में लोगों के बीच काफी कम जानकरी होने के कारण, पिछले कई दशकों से इसके बीमारी के उत्पन्न होने के मेजर कारणों का पता नहीं चल पाया है |  

 

जिसके चलते डॉक्टर सुखदीप झावर ने एक मुहिम शुरू की है जिसका नाम है मास अवेयरनेस कैंपस | जिसके माध्यम से यह संदेश हर -घर-घर तक पहुंचे और देश के हर नागरिक को इस बात का पता चले ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी का इलाज किया जा सकता है | यदि इससे पीड़ित मरीज़ का सही समय पर इलाज मिल जाये तो वह जल्द ही ठीक हो सकता है और साथ ही वह अपने रोज़मर्रा ज़िन्दगी में वापिस जा सकता है | 

 

डॉक्टर सुखदीप झावर ने यह भी बताया की जिन लोगों में मन में ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी को लेकर विचार-धारा या फिर आशंका है उसे इस मुहिम के जरिये दूर किया जा सकता है और यह भी बताया जाएगा कि कैसे आप ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित मरीज़ का मदद पंहुचा सकते है और कैसे एक हॉस्पिटल और एक विशेषज्ञ इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मरीज़ की मदद कर सकता है |

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर ब्रेन स्ट्रोक से जुड़ी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो उपलब्ध है | यदि आप या फिर आपके परिवार सदस्य में से कोई अगर ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से गुजर रहा है और इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए भी आप न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट एवं न्यूरोमास्टर डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरो-सर्जन में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है |

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गंभीर सिरदर्द बन सकता है जानलेवा, जाने डॉक्टर द्वारा बताए गए के ऐसे लक्षण जिसका जानना है बेहद ज़रूरी

सिरदर्द कई कारणों से होने लगता है | ज्यादातर मामलों में यह सिरदर्द अपने आप ही ठीक हो जाता है या फिर पेनकिलर के सेवन से कम हो जाता है | अगर आपको लगा रहा है की आपका सिरदर्द सामान्य नहीं है तो तुरंत ही डॉक्टर के पास जाकर उसकी जाँच करवाएं |  

 

न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर ने बताया कि सिरदर्द होना एक कॉमन  समस्या है जिससे हर वर्ग के लोग गुजरते है | ज्यादातर मामलों में सिरदर्द नार्मल वजह से होता है, लेकिन यदि आपके सामने  लगातार भयानक सिरदर्द के लक्षण सामने आ रहे है तो इसे बिलकुल भी नज़रअंदाज़ न करे और तुरंत ही डॉक्टर के पास जाएं | आइये जानते है भयंकर सिरदर्द की वजह से कौन से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है :- 

 

डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर ने बताया कि कई सिरदर्द ऐसे भी होते है जो सामान्य तौर पर इतने सीरियस नहीं होते | यह सिरदर्द की कॉमन वजह माइग्रेन और टेंशन लेना है | जिससे ज्यादा कुछ सीरियस दिक्कत नहीं होती है, लेकिन बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न हो जाती है | उन्होंने यह भी बताया की ज़रूरी नहीं होता की हर सिरदर्द की वजह कॉमन ही हो | अगर सही समय पर इलाज करवाया गया तो इसकी वजह से आपको शरीरक रूप से कई दिक्कतों का समाना करना पड़ सकता है, यहाँ तक मौत भी हो सकती है | आइये जानते है सिरदर्द के लक्षणों के बारे में :- 

 

  1. सबसे खतरनाक सिरदर्द सबाराकनॉइड हैमरेज की कारण होता है | 
  2. एक ऐसा सिरदर्द जिससे पीड़ित व्यक्ति नींद से जाग जाता है या फिर सुबह जगाने पर बहुत तेज़ सिरदर्द होना, उलटी होना और देखने में दिक्कत होना, इन लक्षणों की वजह से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है | 
  3. सिरदर्द के साथ-साथ बुखार या दौरे पड़ना, यह इंसेफेलाइटिस या ब्रेन फीवर के लक्षण हो सकते है | 
  4. ऐसा सिरदर्द जिसमे आपको बुखार के साथ कुछ भी समझ न आये तो यह मेनिनजाइटिस होने के लक्षण हो सकते है |  
  5. 50 की उम्र के बाद लोगों को सिरदर्द होना  
  6. ऐसे सिरदर्द जो धीरे-धीरे बढ़ने लगे वह दिमाग में ब्लीडिंग या फिर ब्रेन ट्यूमर की वजह से हो सकता है | 
  7. सिरदर्द का लगातार 72 घंटे से भी अधिक चलना | 
  8. ऐसे सिरदर्द होना जिस पर पेनकिलर का कोई असर न पड़ना | 
  9. हाल ही में सिरदर्द शुरू हुआ है, लेकिन अब बढ़ते ही जा रहा है | 
  10. हाथ और पैरों में कमज़ोरी का अनुभव होने के साथ सिरदर्द होना, यह स्ट्रोक होने के लक्षण हो सकते है | 

 

ऊपर बताए गए 10 लक्षणों को कभी भी नज़र अंदाज़ बिलकुल भी ना करे लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे | अगर आप ऐसे ही न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस से गुजर रहे है और इलाज करवानां चाहते है तो इसके लिए आप न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुखदीप सिंह झावर न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है जो इस समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है |  

 

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क्या है सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस और कैसे करें इसका उपचार ?

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस जिसे गर्दन में गठिया भी कहा जाता है, जिसके कारण आपके गर्दन में चोट अकड़न और दर्द का अनुभव हो सकता है | आज के दौर सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस का कोई निश्चित इलाज नहीं है लेकिन स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की मदद से इस समस्या को खराब होने में या फिर रोकने में मदद मिल सकती है | आइये जानते है सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के बारे में विस्तारपूवर्क से :- 

न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुखदीप झावर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में इस बात का जिक्र किया की सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस एक सामान्य शब्द का मेल है, जिसमे सर्वाइकल आपकी गर्दन के सात खड़ी हड्डियों की उल्लेखना करता है और स्पोंडिलोसिस तब होता है जब आपके शरीर की रीढ़ की हड्डिया घिसने लग जाती  है | इस समस्या को ऑस्टियोऑर्थराइट्स या फिर गर्दन में गठिया के नाम से भी जाना जाता है | 

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर गर्दन में चोट, अकड़न और दर्द होने की शिकायत रहती है | यह समस्या इतनी आम है की बढ़ती उम्र के साथ सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस का उत्पन्न होना स्वाभाविक है | बढ़ती उम्र के साथ शरीर पर भी काफी बदलाव आते है, जिसमे से एक है रीढ़ की हड्डियों में बदलाव और घिसाव होना | यह समस्या आम-तौर पर तब बढ़ता है जब किसी व्यक्ति की उम्र 30 वर्ष से पार चली जाती है | 60 की उम्र तक तो लगभग 10 में 9 लोग इस सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस समस्या का शिकार हो जाते है | आइये जानते है इसके मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

 

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के मुख्य लक्षण क्या है ? 

आम-तौर पर सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या बिना किसी लक्षण से भी हो सकता है, इसके अलावा कई मामलों में लक्षण देखने को भी मिल जाते है जिसमे शामिल है :- 

  • गर्दन में दर्द होना 
  • गर्दन का अकड़ जाना 
  • आपकी गर्दन में गांठ या उभर का आना
  • मांसपेशियों में ऐंठन आना 
  • जब गर्दन को हिलाते हो तो पॉप, क्लिक और पीसने की आवाज़ आती है | 
  • चक्कर आने लगता है |  
  • सिरदर्द बहुत होता है | 

 

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के मुख्य कारण क्या है ?

यह समस्या होने का सबसे आम कारण है, रीढ़ की हड्डियों में परिवर्तन आना जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ होता है | इसके अलावा चिकित्सा संबंधी परिवर्तन स्थितियां भी शामिल होती है, जो समय के साथ-साथ बढ़ती रहती है, जैसे की :- 

 

  • 60 वर्ष या फिर उससे भी अधिक उम्र का होना 
  • धूम्रपान या फिर शराब जैसे नशीली पदार्थ का सेवन करना 
  • ऐसा काम करना जिसे आपको पूरा दिन निचे देखना पड़े
  • वजनदार वस्तु को उठाने के समय गर्दन में दबाव डालना 
  • इस समस्या का पारिवारिक इतिहास होना 
  • गर्दन में लगी पुरानी चोट के कारण 

 

यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो बेहतर है किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएं और अच्छे से इलाज करवाएं, ताकि समय रहते इस समस्या को कम करने की मदद मिल सके | इससे संबंधित कोई भी जानकारी या फिर इलाज के लिए आप न्यूरोमास्टर झावर हॉस्पिटल  से परामर्श कर सकते है, यहाँ के डॉक्टर सुखदीप झावर ब्रेन और स्पाइन के न्यूरो सर्जन में स्पेशलिस्ट है जो इस समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है |

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आयरन की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है, जाने इसके क्या है लक्षण

आयरन मानव के शरीर के लिए बेहद ज़रूरी मिनरल होता है, जो कई महतवपूर्ण कार्य में अपनी विशेष भूमिका निभाते है | दरअसल आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं की उत्पादन में सहायता करते है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने का कार्य करती है | जहाँ आयरन मासपेशिओं के कार्य में, प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए ज़रूरी होता है, वही यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद ज़रूरी होता है | 

 

आयरन की कमी से एनीमिया जैसे समस्या हो सकती है, इस स्थिति में शरीर को पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं मिलती, जिस वजह से शरीर को नियमित ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होता  | एनीमिया के मुख्य लक्षण है, थकान महसूस होने, कमजोरी, साँस लेने में तक़लीफ होना, सिरदर्द होना, चक्कर आना आदि | आयरन की कमी से मानसिक स्वास्थ्य में भी काफी बुरा असर पड़ता है | 

 

आयरन की  कमी से अवसाद और चिंता जैसे मानसिक से जुड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आयरन सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर की उत्पादन में सहायता करते है जो कि मूड को नियंत्रित करने का कार्य करता है और यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य  के लिए बेहद आवश्यक होता है | आयरन की कमी से इन न्यूरोट्रांस्मीटर की उत्पादना कम हो सकती है, जिस वजह से अवसाद और चिंता जैसे समस्या को बढ़ावा मिल सकता है | 

 

आयरन की कमी को पूरा करने के आपको पौष्टिक तत्व और आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकते है, जैसे की:- 

 

  • ब्रोकोली
  • हरे पत्ते वाली सब्जियां 
  • साबुत अनाज 
  • मांस 
  • मछली 
  • दाल 
  • बीन्स 
  • टोफू  
  • फल 

 

आयरन के अवशोषण को बढ़ाने के लिए विटामिन सी से भरपूर खाद पदार्थों का सेवन भी कर सकते है, जैसे की संतरे, निम्बू का रास,आवला आदि | अगर आपको लग रहा है की आपके शरीर में आयरन की कमी हो गयी है, घबराएं नहीं तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और उनसे बात करे | वह आपके शरीर में आयरन के स्तर की जाँच-पड़ताल करके इसकी कमी को पूरा करने में आपकी मदद करेंगे | इसके लिए आप न्यूरो मास्टर झावर हॉस्पिटल का चयन कर सकते है | इस संस्था के डॉक्टर सुखदीप झावर न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है और इन्हे 15 सालों का तज़र्बा है |  

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माइग्रेन को कम करने के लिए बेहद ही आसान घरेलु नुस्खा,जो इस समस्या को करे जड़ से ख़तम

अगर आप भी गंभीर सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्या से पीड़ित है तो ऐसे ही कुछ घरेलु उपचार का इस्तेमाल करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते है  | यह घरेलू उपचार बहुत ही असरदार होते है इसलिए इस उपाय को एक बार ज़रूर आज़माना चाहिए | हलाकि इस उपाय का उपयोग करने से पहले एकबार डॉक्टर से सलाह ज़रूर ले |

माइग्रेन  को कम करने के लिए घरेलु उपचार:- 

 – माइग्रेन की समस्या से राहत पाने के लिए भीगे हुए किशमिश का सेवन कर सकते है , इससे न सिर्फ सिरदर्द से राहत मिलेगी बल्कि उल्टी और मतली जैसे समस्या भी दूर हो जाएगी | 

– जीरे और इलायची से बनी चाय का सेवन करने से सिरदर्द की समस्या को कम किया जा सकता है | 

– आप जड़ी-बूटियों जैसे की  ब्राह्मी, शंखपुष्पी, यष्टिमधु आदि घी के साथ सेवन कर सकते हैं | इसमें कई तरह से पोषक तत्व पाए जाते है, जो शरीर के साथ-साथ दिमाग के लिए भी बहुत ही फायदेमंद है | 

– माइग्रेन से पीड़ित मरीज को रोजाना स्वस्थ आहार और प्राणायाम करना चाहिए, जिससे आपके माइंड को विश्राम मिलता है | 

– थोड़े से काले चने को तवा पर गरम कर ले फिर उसको एक रुमाल में डाल कर अपनी आंखो के आप पास सेकई  करे |  इससे भी काफी राहत मिलती है | 

– माइग्रेन जैसी स्थिति मरीज को में प्रकाश और शोर जैसे पर्यावरण से बहुत दिक्कत होती है, इसलिए थोड़े समय के लिए ऐसे कमरे में बैठ जाओ जिस में न ही कोई प्रकाश और न हो शोर | इस प्रक्रिया से भी काफी रहत मिलती है | 

अगर फिर भी इस स्थिति में कोई सुधार नहीं आ रहा तो बेहतर है की आप एक्सपर्ट्स से सलाह ले | इस समस्या से संबंधित कोई भी जानकारी या अपने विचार विमर्श करना चाहते हो तो आप न्यूरो मास्टर झावर हॉस्पिटल का चयन कर सकते है | यहाँ के डॉक्टर सुखदीप झावर न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है |

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