मैग्नीशियम का सेवन कैसे हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है ?

आज कल लोग अपने कामकाज में इतने व्यस्त हो गये है की उनके पास खुद के सेहत का ध्यान रखने का वक़्त ही नहीं होता, जिसके चलते वे अपने खानपान में सही पोषण व सभी विटामिन शामिल नहीं कर पाते जिससे शरीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि जिंदगी में अचानक बदलाव मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। हालांकि, ये अकेलापन, चिंता या घबराहट शरीर में मैग्नीशियम की कमी के संकेत को भी दर्शा सकता है। मैग्नीशियम एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो अवसाद और चिंता पर सीधा प्रभाव डालता है। इसलिए इसकी कमी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। और मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए आपको किस तरह के खाने की चीजों का सेवन करना चाहिए, इसके बारे में आज के ब्लॉग पोस्ट में चर्चा करेंगे ;

मैग्नीशियम क्या है ?

  • मैग्नीशियम एक खनिज होता है, इसका उपयोग तब किया जाता है जब आपके रक्त में इसकी मात्रा कम हो जाती है। दरअसल मैग्नीशियम तंत्रिकाओं, मांसपेशियों, कोशिकाओं, हड्डियों और हार्ट को सही ढंग से चलाना के लिए काम करता है। 
  • इंसान के शरीर में आमतौर पर संतुलित आहार खाने से मैग्नीशियम की मात्रा सही रहती है, लेकिन जब आपके शरीर में इसकी कमी हो जाती है तो आपके पूरे शरीर पर इसका असर पड़ता है। मैग्नीशियम का उपयोग शरीर को आवश्यक मैग्नीशियम प्रदान करने के लिए किया जाता है।
  • मैग्नीशियम हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि ये हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है, साथ ही ब्लड प्रेशर और मांसपेशियों को भी स्वस्थ बनाए रखता है। शरीर में मैग्नीशियम की कमी से थकान लगना, भूख न लगना, उल्टी, नींद न आना, मतली, मांसपेशियों की समस्या आदि हो सकती है।

अगर मैग्नीशियम की कमी से तंत्रिकाओं और मस्तिष्क संबंधित गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

मैग्नीशियम को अपने आहार में क्यों शामिल किया जाता है ?

  • इसलिए इसको शामिल किया जाता है ताकि ब्लड शुगर लेवल सही रहें। वहीं रिपोर्ट्स बताती है कि जो लोग टाइप टू डायबिटीज से ग्रसित होते है, उनके खून में मैग्नीशियम की मात्रा कम होती है जिससे शरीर के लिए ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करना कठिन हो जाता है। दूसरी तरफ जो लोग मैग्नीशियम को अपने खानपान में शामिल करते हैं उन्हें टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा भी कम हो जाता है। एक स्टडी में यह पाया गया कि मैग्नीशियम का सेवन करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है और ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है। 
  • मैग्नीशियम का सेवन करने से टाइप टू डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है, मैग्नीशियम ग्लूकोस और इंसुलिन रेगुलेशन में अहम योगदान निभाते है जिससे डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है।
  • कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि मैग्नीशियम की खुराक पर्याप्त मात्रा में लेने से माइग्रेन का खतरा कम हो जाता है और इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आप माइग्रेन संबंधित समस्याओं से निजात पाना चाहते है तो इसके लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए। 
  • मैग्नीशियम हमारे दिल को स्वस्थ बनाए रखता है, रिसर्च में यह पाया गया है कि मैग्नीशियम के भरपूर सप्लीमेंट लेने से हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है, जो हृदय रोग के जोखिम कारक में से एक है, अधिक मात्रा में मैग्नीशियम का सेवन करने से हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम कम हो जाता है, जिससे दिल का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। 
  • हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम जरूरी होता है, लेकिन, कई रिसर्च बताती है कि पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम का सेवन करने से महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हड्डियों के क्रिस्टल बनने, बोन डेंसिटी में वृद्धि और ओस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो जाता है। मैग्नीशियम कैल्शियम और विटामिन-डी के लेवल को बैलेंस करने में मदद करता है. हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए मैग्नीशियम और मिनरल्स बहुत जरूरी है।

किन खाने की चीजों में मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा पाई जाती है ?

  • पालक न केवल स्वाद से भरपूर है बल्कि पोषक तत्वों और मैग्नीशियम से भी भरपूर है। आप इसे सलाद में कच्चा भी खा सकते है। 
  • पोटेशियम की मात्रा के अलावा केले में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह आपके दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है। केले में मौजूद पोषक तत्व शरीर के कामकाज को बढ़ावा देते है।
  • मुट्ठी भर बादाम खाने से आपको लगभग सभी पोषक तत्व मिल जाते है। बादाम मैग्नीशियम का एक शानदार स्रोत है। ज्यादा पोषक तत्व पाने के लिए आपको बादाम को रातभर पानी में भिगोकर सुबह बासी मुंह खाना चाहिए।
  • काजू मैग्नीशियम की एक अच्छी खुराक प्रदान करते है। रोआजन मुट्ठीभर काजू खाने से आपको न सिर्फ मैग्नीशियम बल्कि प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और विटामिन भी मिलते है।
  • तिल और सूरजमुखी दोनों के बीज न केवल स्वादिष्ट होते है, बल्कि मैग्नीशियम का भी शानदार स्रोत है। इनमें कद्दू के बीज में भी ज्यादा मैग्नीशियम पाया जाता है। आप इन बीजों को अपने सलाद पर छिड़क कर या अपने खाने में शामिल कर सकते है।
  • सोयाबीन से बना टोफू न केवल प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है, बल्कि मैग्नीशियम से भी भरा होता है। इसे आप कच्चा खा सकते है या फिर सब्जी बना सकते है। इसे मैरीनेट किया जा सकता है, ग्रिल किया जा सकता है, या आपके पसंदीदा खाने में मिलाया जा सकता है। इनके अलावा ब्राजील नट्स, किनोआ, ब्लैक बीन्स, सैलमन फिश आदि भी यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

मैग्नीशियम किन मांसाहारी चीजों में पाया जाता है ?

सैलमन मछली :

यह हम सभी जानते है, कि सी-फ़ूड सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते है। कुछ मछलियों में मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिससे आप रोजाना के लिए जरुरी मैग्नीशियम की खुराक आसानी से हासिल कर सकते है। आंकड़ों के अनुसार 84 मिलीग्राम पकी हुई सैलमन मछली में लगभग 26 मिलीग्राम मैग्नीशियम मिलता है।

चिकन :

चिकन प्रोटीन का स्रोत होने के साथ-साथ मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत है। आंकड़ों के अनुसार 84 मिलीग्राम रोस्टेड चिकन में लगभग 22 मिलीग्राम मैग्नीशियम पाया जाता है।

बीफ :

चिकन के अलावा बीफ (भैंस का मांस) में भी मैग्नीशियम की मात्रा पायी जाती है। 84 मिलीग्राम बीफ में लगभग 20 मिलीग्राम मैग्नीशियम मिलता है।

मैग्नीशियम के स्त्रोत : 

केला, बादाम, कद्दू के बीज, दही, ब्लैक बीन्स, पालक, एवोकाडो, डार्क चॉक्लेट आदि में मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा पाई जाती है।

रोजाना कितने मैग्नीशियम का सेवन किया जाता है ? 

यह आमतौर पर हड्डियों में जमा होता है और हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है। इसलिए प्रति दिन मैग्नीशियम की आवश्यकता 350 मिलीग्राम, करनी चाहिए आपको। वहीं अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियों और नट्स में प्राप्त मात्रा में पाई जाती है।

सुझाव :

जैसे की आपको पता है की मैग्नीशियम की कमी आपके दिमाग से जुडी समस्याओं को उत्पन्न कर देता है इसलिए इससे बचाव के लिए आपको भरपूर मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए और किन खाने की चीजों में ये भरपूर मात्रा में पाई जाती है इसके बारे में हम उपरोक्त बता चुके है लेकिन ध्यान रहें दिमागी समस्या गंभीर होने पर आपको झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :  

अगर आप रोजाना इसका सेवन करते है तो आपको किसी भी तरह की सेहत समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। मैग्नीशियम का सेवन ज्यादा करने से आप हर तरह की बीमारियों से खुद का बचाव बहुत ही आसानी से कर सकते है। पर इसका सेवन आपको बहुत अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, क्युकी अति किसी भी चीज की नुकसानदायक ही हो सकती है, फिर चाहें वो खाने की चीज हो या कोई अन्य चीज।

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दिमाग में खून का जमना मतलब जान को खतरा – जानिए क्या है इसके लक्षण, कारण और उपचार !

मस्तिष्क जिसको मानव शरीर में सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक माना जाता है। क्युकी इसके ऊपर ही हमारा सम्पूर्ण शरीर टीका होता है। वहीं मानव मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र के कमांड सेंटर के रूप में कार्य करता है। यह अंग बुद्धि का स्थान, इंद्रियों के विचार व्याख्याता, शरीर की गति का आरंभकर्ता और व्यवहार का नियंत्रक है। इसके अलावा मस्तिष्क में रक्त के जमाव के कारण क्या है और इससे हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है, ये गौर करने वाली बात है ;

क्या है दिमाग में रक्त का जमाव ?

  • रक्त के थक्के रक्त के जेल जैसे गुच्छे में होते है। वे घायल रक्त वाहिकाओं को प्लग करने के लिए फायदेमंद होते है, जिससे रक्तस्राव बंद हो जाता है। जब थक्के बनते है और स्वाभाविक रूप से नहीं घुलते है, तो उन्हें चिकित्सा देखभाल की खास आवश्यकता हो सकती है, खासकर यदि वे आपके पैरों में है या अधिक महत्वपूर्ण स्थानों पर है, जैसे कि आपके फेफड़े और मस्तिष्क में। 
  • वहीं स्ट्रोक तब होता है, जब आपके मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित या कम हो जाती है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते है। जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में मरने लगती है। और ऐसा तब होता है जब मस्तिष्क को आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिका में थक्का जम जाता है।
  • दिमाग में खून का जमना या स्टोक की समस्या को अच्छे से जानने के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करना चाहिए।

लक्षण क्या है दिमाग में खून जमने के ?

  • इसके लक्षणों का असर सबसे पहले आपके आँखों में पड़ेगा जैसे आपको धुंधली और अँधेरी दृष्टि का सामना करना पड़ सकता है। 
  • आपको बोलने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। 
  • चेहरे के दोनों ओर का लंबे समय तक सुन्न रहना, यदि आप इस लक्षण का अनुभव कर रहे है, तो आपको तुरंत लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन से परामर्श लेना चाहिए। 
  • मस्तिष्क में रक्त के थक्के बनने से रोगी के शरीर के दोनों ओर आंशिक पक्षाघात हो सकता है। पक्षाघात आमतौर पर अंगों को प्रभावित करता है, और कुछ मामलों में, चेहरे के एक तरफ को भी प्रभावित कर सकता है।
  • ब्रेन स्ट्रोक के कारण व्यक्ति अपने हाथों और पैरों का संतुलन या समन्वय खो बैठता है। 
  • ब्रेन स्ट्रोक के कुछ मामलों में, जब मस्तिष्क के ओसीसीपिटल लोब को टेम्पोरल लोब से जोड़ने वाले मार्गों में क्षति होती है, तो व्यक्ति विज़ुअल एग्नोसिया से पीड़ित हो सकता है। विज़ुअल एग्नोसिया आपके सामने रखी बड़ी संख्या में वस्तुओं को पहचानने में असमर्थता का सामना करवा सकता है। आपको अचानक एक या दोनों आंखों में धुंधला या काला दिखाई दे सकता है, या आपको दोगुना दिखाई दे सकता है।
  • अचानक गंभीर सिरदर्द , जो उल्टी , चक्कर आना या परिवर्तित चेतना के साथ हो सकता है, वहीं यह संकेत दे सकता है कि आपको स्ट्रोक हो रहा है।

दिमाग में खून जमने के क्या कारण है ?

  • डायबिटीज के कारण। 
  • हाई बीपी के कारण। 
  • हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण। 
  • दिल का कोई रोग होना।  
  • मोटापे के कारण।  
  • स्मोकिंग के कारण। 
  • चिंतन के कारण। 
  • एक्सरसाइज न करने के कारण भी इस तरह की समस्या का व्यक्ति को सामना करना पड़ सकता है। 
  • कम मात्रा में मांसाहारी व उच्च वसायुक्त भोजन का सेवन करना।

दिमाग में खून जमने से बचाव के लिए क्या करें ?

  • सबसे पहले तो दिमाग में खून जमने की समस्या होने पर आपको स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना चाहिए। स्वस्थ भोजन करना, नियमित व्यायाम करना और स्वस्थ नींद को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। 
  • धूम्रपान और मनोरंजक दवाओं से जितना हो सकें परहेज करें।  
  • तनाव उत्पन्न करने वाले कारकों से आपको बचना चाहिए। 
  • खुद को जितना हो सकें हाइड्रेटेड रखें। 
  • नियमित अपने स्वास्थ्य की जांच को करवाते रहें।

दिमाग में खून जमने से बचाव का इलाज क्या है ?

  • इसके इलाज के लिए आपको आपातकालीन IV इंजेक्शन दवा दी जाती है। वहीं ऐसी दवाओं व थेरेपी से थक्के को तोडा जा सकता है, जिससे आपको काफी आराम मिलेगा।   
  • एंटीकोआगुलंट्स, जिन्हें अक्सर रक्त पतला करने वाले के रूप में जाना जाता है, और ये रक्त के थक्कों को बनने से रोकने में भी मदद करते है। 
  • कैथेटर-निर्देशित थ्रोम्बोलिसिस में रक्त के थक्के में एक कैथेटर भेजना शामिल है। सीधे थक्के पर दवा प्रदान करके, कैथेटर इसके विघटन में सहायता करता है। थ्रोम्बेक्टोमी सर्जरी के दौरान, डॉक्टर रक्त के थक्के को नाजुक ढंग से हटाने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग भी करते है।
  • वहीं डॉक्टर यह निर्धारित कर सकते है कि धमनी को खुला रखने और रुकावटों को रोकने के लिए स्टेंट की आवश्यकता है या नहीं।
  • इसके अलावा जब कोई रोगी डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) से पीड़ित और रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेने में असमर्थ हो, तो उनके हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क तक पहुंचने से पहले रक्त के थक्कों को फंसाने के लिए उनके अवर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) में एक फिल्टर डाला जाता है।

आप चाहें तो अपने दिमाग में जमे खून का इलाज झावर हॉस्पिटल से भी करवा सकते है, वहीं इस हॉस्पिटल में अनुभवी डॉक्टरों के द्वारा मरीज़ का इलाज किया जाता है।

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दिमाग में भर रहें पानी के लक्षणों पर ध्यान न देने से कैसे फट सकती है इसकी नसें ?

अक्सर हमने फेफड़ो में पानी भरने के बारे में जरूर सुना होगा पर दिमाग में पानी भरने के बारे में बहुत कम ही सुनने को मिलता है तो अगर आप में से किसी में भी सिर दर्द की समस्या ज्यादा समय तक रहती है तो इसके लक्षणों के बारे में जानकारी जरूर हासिल करें। क्युकी कई बार सिर का दर्द दिमाग में पानी भरने जैसी समस्या को उत्पन्न कर सकता है ;

दिमाग में पानी का भरना क्या है ?

  • आमतौर पर सेरिब्रल स्पाइनल फ्लूइड (CSF) दिमाग में वेंट्रिकल्स कहे जाने वाले क्षेत्रों से होकर बहता है। यह पदार्थ दिमाग में पोषक तत्व भेजने और गंदे पदार्थों को हटाने का काम करता है। इतना ही नहीं, यह दिमाग और रीढ़ की हड्डी को साफ करता है और उन्हें चोट से बचाता है। 
  • वहीं आपका शरीर रोजाना इस पदार्थ को उतनी मात्रा में बनाता है जितनी जरूरत होती है। उसके बाद उसे अवशोषित भी कर लेता है। कई बार यह शरीर द्वारा अवशोषित नहीं हो पाता है जिससे यह शरीर में जमा होता रहता है। इसका निर्माण ज्यादा होने से आपके सिर के अंदर दबाव बढ़ जाता है। जिससे यह दिमाग को सही तरह से काम करने से रोकता है।

दिमाग में पानी का भरना क्या है के बारे में और विस्तार से जानने के लिए आप लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट के संपर्क में आए।

दिमाग में पानी भरने के कारण क्या है ?

  • दिमाग में पानी का भरना दो तरह से होता है पहला जन्म के दौरान पैदा हुए बच्चे के दिमाग में पानी का भरना। 
  • दूसरा किसी आम इंसान के दिमाग में पानी भरना जिसके कई कारण हो सकते है। ऐसा माना जाता है कि सिर में चोट, स्ट्रोक, ब्रेन स्पाइनल कोड ट्यूमर और मेनिनजाइटिस या दिमाग या रीढ़ की हड्डी के अन्य संक्रमण के कारण भी ऐसा होता है।

छोटे और बड़े बच्चो के दिमाग में पानी भरने के लक्षण !

  • इसके लक्षण उम्र के साथ बदलते है। 
  • बच्चों के दिमाग में पानी भरने के लक्षणों में उसका सिर असामान्य रूप से बड़ा दिखना, बच्चे के सिर के ऊपर उभरा हुआ नरम स्थान (फॉन्टानेल) दिखना, आंखों से जुड़ी समस्या, उल्टी या नींद नहीं आना आदि शामिल है। 
  • वहीं अगर बात करें बड़े बच्चों के दिमाग में पानी भरने के लक्षणों की तो इनमें सिरदर्द, मतली और उल्टी, आंखों की समस्या, शरीर का सही तरह विकास न होना आदि शामिल है।

अगर बच्चों में पानी भरने के लक्षण ज्यादा गंभीर है तो इसके लिए आप लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन की सलाह भी ले सकते है।

वयस्कों और बुजुर्गों के दिमाग में पानी भरने के लक्षण !

  • सिरदर्द का होना। 
  • उल्टी या मतली की समस्या।  
  • आंखों की समस्या। 
  • थकान का महसूस होना। 
  • संतुलन और समन्वय बनाने में समस्या का सामना करना। 
  • अल्पकालिक स्मृति की हानि। 
  • चलने में समस्या का सामना करना। 
  • डिमेंशिया की शिकायत। 
  • मूत्राशय से जुड़ी समस्या आदि।

दिमाग में पानी भरने का इलाज क्या है ?

  • शुरुआती निदान और सफल उपचार से अच्छी रिकवरी की संभावना बढ़ सकती है। हाइड्रोसिफलस को रोकने या ठीक करने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन इस स्थिति का इलाज सर्जरी से किया जा सकता है।
  • पर ध्यान रखें अपने दिमाग की सर्जरी को उन्ही से करवाए जिन डॉक्टर को दिमाग की सर्जरी करने का काफी सालों का अनुभव है।

दिमाग के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप दिमाग में पानी भरने की समस्या का सामना कर रहें है तो इसके इलाज के लिए आपको झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। वही आपको बता दे की अगर आपमें उपरोक्त दिमाग में पानी भरने जैसे लक्षण नज़र आ रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको समय रहते सर्जरी का चयन कर लेना चाहिए। 

 

 

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क्यों हकलाता है आपका बच्चा? जानें इसके लक्षण और इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है?

हकलाने की समस्या जोकि हम छोटे बच्चों में अकसर देखते है पर जरा सोचे अगर आपका बच्चा बड़ा जो जाए उसके बाद भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहा हो तो कैसे हम ऐसे में बच्चे का बचाव कर सकते है। वही छोटे बच्चों में हकलाने के क्या है कारण, प्रकार और कैसे लक्षणों की मदद से हम इस तरह के बच्चों को ठीक कर सकते है इसके बारे में आज के आर्टिकल में बात करेंगे ;

क्या है हकलाने की समस्या ?

  • हकलाना जिसे अंग्रेजी में स्टैमरिंग या स्टटरिंग कहा जाता है, जो एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है। वही इस कंडीशन में व्यक्ति सामान्य रूप से बोल पाने की क्षमता को खो देता है। इसमें आमतौर पर व्यक्ति सामान्य रूप से बोलने की जगह बोलते समय किसी शब्द या अक्षर को बार-बार बोलने लगता है या फिर शब्द की ध्वनि को लंबा बना देते है। 
  • हकलाने से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर 4 से 7 साल के बच्चों में देखी जाती है। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे शब्दों को जोड़कर और उनका वाक्य बनाकर बोलना सीखने लगते है।

यदि आप या आपके बच्चे में हकलाने की समस्या उत्पन्न हो गई है तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करना चाहिए।

हकलाने की समस्या के कारण क्या है ?

  • सबसे पहले तो इसके कारण में फैमिली हिस्ट्री शामिल है। 
  • फिर न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर का आना।  
  • स्पीच सुनने या लैंग्वेज को समझने में दिक्कत का आना भी इसके एक कारण में शामिल है।

हकलाने के लक्षण क्या है ?

  • हकलाने के लक्षणों में सबसे पहले तो व्यक्ति किसी भी बात को शुरू करने से पहले डरता है और बात करते वक़्त वो हिचकिचाहत महसूस करता है। 
  • रुक-रुक कर बोलना, एक ही शब्द को बार-बार बोलना, तेज बोलना, बोलते हुए आंखें भींचना, होठों में कंपकपाहट होना, जबड़े का हिलना आदि। उच्चारण की समस्या होना और साफ न बोल पाना।

हकलाने के प्रकार क्या है ?

  • डेवलपमेंटल स्टैमरिंग, यह हकलाने का सबसे आम प्रकार है, जो आमतौर पर बचपन के शुरुआती दौर में देखा जाता है।
  • एक्वायर्ड स्टैमरिंग, इसे लेट स्टैमरिंग कहा जाता है, इसके अन्य कुछ प्रकार भी हैं जैसे –
  • न्यूरोजेनिक स्टैमरिंग, यह आमतौर पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण होता है।
  • साइकोजेनिक स्टैमरिंग, यह हकलाने की समस्या का एक असामान्य प्रकार है, जिसका मतलब है कि इसके मामले कम देखे जाते है।

हकलाने का इलाज क्या है ?

  • हकलाने की समस्या का इलाज अनुभवी डॉक्टर स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपिस्ट के द्वारा करते है, जिसमें वे मरीज के हकलाने की समस्या में सुधार करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते है। 
  • वही व्यक्ति को अगर किसी प्रकार की भावनात्मक समस्या के कारण हकलाने की समस्या हो रही है, तो अन्य साइकोलॉजिकल थेरेपी की मदद से स्थिति का इलाज किया जाता है। हालांकि, हकलाने की समस्या का इलाज आमतौर पर मरीज की उम्र, लक्षणों और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। 

सुझाव :

अगर आपका बच्चा कुछ ज्यादा ही हकला रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द ही डॉक्टर के संपर्क में आना चाहिए और इसके इलाज के लिए आपको झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

हकलाने की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, वही बाल्यावस्था में इस तरह की समस्या अगर बच्चों को हो जाए तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन ये समस्या अगर युवावस्था में हो जाए तो व्यक्ति को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है जिस वजह से कई दफा वो डिप्रेशन में भी चला जाता है। वही इस तरह की समस्या का खात्मा जड़ से तो नहीं किया जा सकता लेकिन हां समय पर पता चलने पर इलाज के दौरान व्यक्ति को फ़ायदा दिलवाया जा सकता है।

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  • April 20, 2024

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जानिए चक्कर आने के क्या है लक्षण, कारण, निदान व घरेलू उपचार ?

आज के समय की बात करें तो भाग-दौड़ भरी जिंदगी में खान-पान का अच्छे से ध्यान न रखना कही न कही चक्कर आने की गंभीर समस्या में शामिल है। वही चक्कर आने के दौरान व्यक्ति बेहोश, कमजोर या अस्थिर महसूस कर सकता है। इसके अलावा ये समस्या क्यों उत्पन्न होती है इसके कारण क्या है, और इसके लक्षणों को जानकर हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में आज के आर्टिकल में बात करेंगे ;

चक्कर आने के कारण क्या है ?

चक्कर आने के कई कारण हो सकते है, जैसे-

  • वर्टिगो, बता दे की इस स्थिति में आस-पास की जगह या चीजें घूमती हुई मेहसूस होती है।
  • माइग्रेन से पीड़ित लोगों को चक्कर आने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। 
  • रक्तचाप में तेज या तेजी से गिरावट के कारण चक्कर का आना काफी गंभीर समस्या हो सकती है।
  • हृदय रोग भी चक्कर की समस्या को उत्पन्न कर सकता है। 
  • एनीमिया से पीड़ित लोगों को चक्कर आने का अनुभव हो सकता है। 

उपरोक्त चक्कर आने के कारण ज्यादा गंभीर है या नहीं के बारे में विस्तार से जानने के लिए बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से संपर्क करें।

क्या है चक्कर का आना ?

  • चक्कर का आना एक ऐसा स्थिति है जो सुस्त, अस्थिर, लाइट-हेडेड या कमजोर होने की भावना से जुड़ा है। 
  • आमतौर पर असंतुलन यानी की डिस-इक्विलिब्रियम और वर्टिगो, चक्कर आने का मुख्य कारण होते है।
  • वही जब हमारे द्वारा अच्छी डाइट को नहीं लिया जाता है तब भी ये समस्या उत्पन्न होती है।

लक्षण क्या है चक्कर आने के ?

  • असामान्य रूप से हिलने-डुलने की अनुभूति जैसे कि एक तरफ से दूसरी तरफ हिलने का एहसास होना।
  • एक ऐसा एहसास जहां व्यक्ति को महसूस होता है कि वह घूम रहा है या उसके आस-पास की दुनिया घूम रही है।
  • असंतुलन या संतुलन खोने की भावना। 
  • उल्टी या मतली की अनुभूति आदि।

चक्कर से बचाव का घरेलू उपचार क्या है ?

  • अपना संतुलन खोने की संभावना से आपको अवगत रहना है, जिससे गिरने और गंभीर चोटें लग सकती है।
  • अतिरिक्त स्थिरता के लिए अचानक हिलने-डुलने से बचें।
  • अपने टब और शॉवर के फर्श पर फिसलन रहित चटाई का प्रयोग करें।
  • चक्कर आने पर तुरंत बैठ जाएं या लेट जाएं। 
  • यदि आप बिना किसी चेतावनी के बार-बार चक्कर आने का अनुभव करते है, तो कार चलाने या भारी मशीनरी चलाने से बचें।
  • कैफीन, शराब, नमक और तंबाकू के सेवन से बचें। इन पदार्थों का अत्यधिक उपयोग आपके संकेतों और लक्षणों को और गंभीर बना सकता है।
  • पर्याप्त तरल पदार्थ पिएं।
  • यदि आपको किसी दवा के कारण चक्कर आते है, तो खुराक को रोकने या कम करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
  • यदि चक्कर आने के साथ मतली आती है, तो मेक्लिज़िन या डाइमेनहाइड्रिनेट जैसे ओवर-द-काउंटर एंटीहिस्टामाइन लेने का प्रयास करें। 
  • यदि आप अधिक गर्मी या निर्जलीकरण के कारण चक्कर महसूस कर रहे है, तो किसी ठंडी जगह पर आराम करें और पानी या स्पोर्ट्स ड्रिंक पियें।

सुझाव :

यदि आप लगातार चक्कर आने की समस्या से परेशान है, तो इससे बचाव के लिए आप झावर हॉस्पिटल के अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करें। 

निष्कर्ष :

चक्कर का आना वैसे ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है,अगर समय पर इसके उपचार के बारे में सोच ले तो। वही यदि आप इस समस्या से निजात पाना चाहते है तो इससे बचाव के लिए आपको उपरोक्त बातों का ध्यान रखना चाहिए और साथ ही अपने खान-पान में पौष्टिक आहार को शामिल करें।

Causes of Sleep Disorders – Neurological, Pulmonary or ENT conditions
Sleep disorder

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ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ? ਕਿ ਸਭਨੂੰ ਇਸ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਰੀ ਹੈ ?
Brain disorders

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जानिए मिर्गी के दौरे को नज़रअंदाज़ करना कैसे हो सकता है खतरनाक ?

मिर्गी एक जानलेवा बीमारी है, क्युकि इसका दौरा पड़ने पर व्यक्ति को खुद की सुध नहीं रहती। वही एक ताजा रिसर्च में यह बात सामने आई है कि मिर्गी के पीड़ितों में मृत्यु का खतरा अन्य लोगों के मुकाबले बहुत अधिक होता है। इसके अलावा इस दौरे के पड़ने पर हमे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

मिर्गी का दौरा आने पर क्या करें?

  • मिर्गी की बीमारी गंभीर समस्या है, अगर इसका सही समय पर इलाज न हो तो मरीज के दिमाग पर काफी बुरा असर पड़ता है। वही मिर्गी के लिए कई तरह की थेरेपी और इलाज मौजूद है। 
  • लेकिन ये दौरा अगर घर में अचानक से किसी को पड़ जाए तो ऐसे में आप मरीज को अंगूर का जूस पिला सकते है, इससे थोड़ी राहत मिल सकती है। 
  • इसके अलावा करौंदा खाने से भी मिर्गी का दौरा कम हो सकता है। 
  • साथ ही कद्दू का सेवन करने से भी मिर्गी के दौरे की संभावना को कम किया जा सकता है।  
  • तुलसी के रस से भी मिर्गी के दौरे को कम किया जा सकता है। 
  • दौरे के बाद मरीज़ के आस-पास खुली जगह छोड़े। 
  • दौरे के दौरान मरीज़ को खाने को कुछ न दे।

यदि हॉस्पिटल आपके घर के नजदीक में है और आपके मिर्गी के दौरे का खतरा काफी बढ़ चूका है तो इसके लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से सलाह लेना चाहिए।

क्या है मिर्गी का दौरा ?

  • मिर्गी एक पुरानी बीमारी है, जिसकी पहचान बार-बार होने वाले अकारण दौरे हैं।
  • वही मिर्गी एक क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें मस्तिष्क असामान्य रूप से कार्य करता है और बार-बार दौरे का कारण बनता है। तो दौरे मस्तिष्क की समस्याओं के लक्षण हैं जो अचानक हो सकते हैं और मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि, बेहोशी, और लंबे समय तक शरीर का अनियंत्रित रूप से हिलना इसमें शामिल हो सकता है। 
  • इसके अलावा ये दौरा सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है, चाहे उनका लिंग, नस्ल आदि कुछ भी हो। ज्यादातर मामलों में, इसे दवा से ठीक किया जा सकता है। हालांकि, मिर्गी वाले लोगों के दौरे को नियंत्रित करने के लिए कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

मिर्गी का दौरा पड़ने पर डॉक्टर को कब बुलाना चाहिए ?

  • जब मरीज़ का दौरा पांच मिनट से अधिक समय तक का हो।
  • दौरा रुकने के बाद सांस लेने या होश में आने में अधिक समय लगता हो।
  • पहले दौरे के तुरंत बाद दूसरा दौरा पड़ता हो।
  • आप गर्मी, थकावट, या तेज बुखार का अनुभव कर रहे हो।
  • यदि आप गर्भवती है।
  • आपको मधुमेह की समस्या है।
  • दौरे के दौरान जब आप खुद को चोट पहुँचाते है।
  • दौरा पड़ने से पहले आपके शरीर के एक तरफ अचानक सिरदर्द, सुन्नता या कमजोरी का अनुभव होना स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
  • यदि उपरोक्त तरह की स्थिति आपके दौरे के दौरान उत्पन्न हो जाए तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर का चयन कर लेना चाहिए।

सुझाव :

  • अगर आपको भी मिर्गी के दौरे ने काफी परेशान कर रखा है, तो इसके लिए आपको झावर न्यूरो हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

मिर्गी का दौरा काफी खतरनाक माना जाता है ये तो आपने जान ही लिया है, इसलिए आप या आपके परिवार जनों में से कोई इस तरह की समस्या का सामना कर रहा है तो इसके लिए आपको समय पर किसी बेहतरीन डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

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  • April 20, 2024

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न्युरोलजी: जानें हाथ कांपने की समस्या किस बीमारी की और इशारा करती है !

कुछ लोगों को सामान पकड़ते समय, या कुछ लिखते समय या अन्य काम करते समय हाथ कांपने की दिक्कत होती है।

तो वही कुछ लोगों को पता ही नहीं चलता की ये समस्या क्यों होती है। इसके अलावा आज के लेख में हम बात करेंगे की हाथ कांपने की समस्या क्यों होती है, और हाथ का कांपना किस बीमारी की और इशारा करता है इसलिए इसके बारे में जानने के लिए आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ; 

क्यों होती है हाथ कांपने की परेशानी ?

  • अगर किसी भी व्यक्ति के साथ इस तरह की दिक्कत हो तो वो ब्रेन की ऐक्टिविटीज से जुड़ी होती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब शरीर की कुछ खास कोशिकाएं किसी भी चोट या बीमारी के कारण दब जाती हैं, तब व्यक्ति में इन दिक्कतों की शुरुआत होती है।
  • वही हाथ कांपने की दूसरी समस्या तब उत्पन होती है जब आप चिंतित या क्रोधित हो जाते हैं। 
  • वही अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहें है तो इससे निजात पाने के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करना चाहिए।

किस बीमारी की वजह से हाथ कांपने की समस्या उत्पन होती है ?

  • ये एक विल्सन डिजीज है। ये बीमारी व्यक्ति को अचानक से नहीं होती है। यह एक दिमाग का रोग है। 
  • वही चोट के अलावा इस बीमारी के कारण वंशानुगत भी हो सकते हैं। जैसे अगर माता-पिता में ये बीमारी होगी तो बच्चों में इस समस्या के उत्पन होने की ज्यादा संभावना होती है।

किन कार्यो को करते वक़्त हाथ कांपने की होती है समस्या ?

  • जिन लोगों को हाथ कांपने की दिक्कत होती है वे कैंची का उपयोग करने, सुईं में धागा डालने, सब्जी काटने, लिखने, देर तक टाइपिंग करने जैसे कुछ कामों को करने में दिक्कत का अनुभव कर सकते हैं, और ऐसे लोगों को हाथों और ब्रेन के बीच अधिक सामंजस्य बनाए रखने की जरूरत होती है।

बिना वजह हाथ कांपने की समस्या क्यों उत्पन होती है ?

  • कुछ अनुभवी डॉक्टरों का कहना है कि बिना वजह हाथ का कांपना तंत्रिका तंत्र में समस्या है और यह समस्या व्यक्ति को बहुत ज्यादा तनाव में भी डाल सकती है। 

हाथ कांपने की समस्या को कैसे सुधारा जा सकता है ?

  • लाइफस्टाइल को व्यवस्थित कर या हाथों से जुड़े व्यायाम करके इस स्थिति को सुधारा जा सकता है। रक्त प्रवाह बाधित न हो, इसका आपको खास ख्याल रखना है।
  • इसके अलावा हाथ सामान्य कार्य करते वक़्त भी कांप रहें है तो इसको नज़रअंदाज़ न करें बल्कि समय रहते डॉक्टर का चयन करें। वही किसी व्यक्ति में यह दिक्कत गंभीर रूप ले चुकी है तो दवाइयों और सर्जरी के जरिए इसका इलाज करें।
  • इसके अलावा इस समस्या के निदान के लिए आप फिजिशियन, न्यूरॉलजिस्ट, सायकाइट्रिस्ट से मिल सकते हैं। जिससे वो आपकी स्थिति के हिसाब से आपकी बीमारी से जुड़ी सलाह और दवाई आपको देंगे।

सुझाव :

अगर हाथ कांपने की समस्या आपके अंदर बीमारी का रूप धारण कर चुकी है तो इससे बचाव के लिए आपको झावर ब्रेन एन्ड स्पाइन हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

हाथ कांपने की समस्या सामान्य सी भी होने पर फ़ौरन डॉक्टर का चयन करें क्युकि इस समस्या का समय रहते इलाज करवा कर हम इस बीमारी का खात्मा जड़ से कर सकते है पर अगर ये समस्या ज्यादा बढ़ गई तो ये अपने साथ कई अन्य बीमारियों को जन्म दे सकती है। इसलिए इसके शुरुआती दौर में ही आप सतर्क हो जाए।

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  • April 25, 2024

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  • April 20, 2024

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तंत्रिका में दर्द का क्या है उपचार, प्रक्रिया, लागत और साइड इफेक्ट्स ?

तंत्रिका तंत्र व्यक्ति के शरीर में बहुत ही मत्वपूर्ण स्थान रखता है क्युकि शरीर का छोटे से लेकर बड़ा कार्य इसके द्वारा ही किया जाता है। शरीर को एक जगह से दूसरी जगह पर सन्देश को भेजना भी इसके द्वारा ही संभव हो पाता है। 

तो वही तंत्रिका के बिना हमारा शरीर कार्य करने में असमर्थ हो जाता है इसके अलावा अगर इसमें किसी भी तरह की परेशानी आ जाए तो कैसे हम खुद का इससे बचाव कर सकते है और तंत्रिका में दर्द की समस्या उत्पन हो जाए तो इसके उपचार, लागत और गलत प्रभाव क्या होंगे, इसके बारे में भी बात करेंगे। इसलिए इसको जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ; 

तंत्रिका में दर्द की समस्या क्यों उत्पन होती है ?

  • तंत्रिका में दर्द आमतौर पर एक चोट या बीमारी के कारण होता है जो आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) या आपकी मांसपेशियों और अंगों तक जाने वाली नसों को प्रभावित करता है। वही तंत्रिका में दर्द के सामान्य कारणों में शामिल हैं आपके मस्तिष्क, रीढ़ या नसों में चोट। 
  • दूसरी और नसों का दर्द, जिसे नसों का दर्द या न्यूरोपैथिक दर्द भी कहा जाता है, तब होता है जब कोई स्वास्थ्य स्थिति उन नसों को प्रभावित करती है जो आपके मस्तिष्क में संवेदनाएं ले जाती हैं।
  • तंत्रिका दर्द आपके शरीर में किसी भी तंत्रिका को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह आमतौर पर कुछ नसों को दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित करता है।

तंत्रिका दर्द का इलाज कैसे किया जाता है?‎

  • तंत्रिका दर्द का इलाज करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऐसी कई रणनीतियाँ हैं जिन्हें आप आज़मा सकते हैं, इसके इलाज में। तो वही अंतर्निहित कारण का इलाज करना, इसका पहला कदम है।
  • आपका डॉक्टर मधुमेह और विटामिन बी 12 की कमी जैसी किसी अंतर्निहित स्थिति का इलाज या प्रबंधन भी कर सकता है।
  • वही इसके इलाज के लिए कभी-कभी क्रीम, जैल, लोशन और पैच जैसे ‎सामयिक उपचार तंत्रिका दर्द से निपटने में मदद करते हैं। एक डॉक्टर ‎एंटीकोनवल्सेंट्स को एंटी-ड्रिंपेंट्स के साथ ‎तंत्रिका दर्द से पीड़ित रोगी को सलाह दे सकता है। 

क्या तंत्रिका में दर्द का कोई नुकसान भी है ?

  • इसके नुकसान में धुंधली दृष्टि, पसीना, शुष्क मुंह, बेचैनी, चक्कर ‎आना और रेसिंग दिल की धड़कन शामिल हैं। तो वही तंत्रिका दर्द ‎का इलाज करने के लिए प्रयुक्त एंटीकोनवल्सेंट दर्द और ‎चक्कर आना, सूजन पैदा करना जैसे नुकसान शामिल हैं। 

अगर तंत्रिका में दर्द के साइड इफेक्ट्स आपमें नज़र आने लगे तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करना चाहिए।

तंत्रिका में दर्द के इलाज का खर्चा कितना आता है ? 

  • तंत्रिका में दर्द से पीड़ित व्यक्ति का इलाज अगर दवाओं के ‎साथ किया जाए, तो इसकी कीमत 5000 रुपये से लेकर 20000 रुपये हो सकती है। ‎हालांकि, सर्जिकल और संबंधित प्रक्रियाओं के लिए, ‎एक व्यक्ति को अस्पताल और शहर के आधार पर 6-15 लाख का भुगतान करना पड़ ‎सकता है।

अगर आप भी तंत्रिका में दर्द की समस्या से परेशान है और इसका इलाज किफायती दाम में करवाना चाहते है तो इसके के लिए झावर न्यूरो ब्रेन एन्ड स्पाइन हॉस्पिटल का चुनाव जरूर से करें।

निष्कर्ष :

तंत्रिका में दर्द की समस्या से निजात पाने के लिए किसी अच्छे डॉक्टर का चयन जरूर से करें और इसके इलाज के लिए किसी भी तरह की दवाई को खुद से न ले बिना डॉक्टर के सलाह के।

Causes of Sleep Disorders – Neurological, Pulmonary or ENT conditions
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  • April 25, 2024

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  • April 20, 2024

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क्या करवट बदलने से लकवे का मरीज़ 6 महीने में ठीक हो सकता है ?

दिमाग में खून का थक्का जमने के कारण लकवा मारने की शिकायत होती है, तो वही कुछ लोगों का मानना है कि लकवा मारने की वजह से शरीर में कोई भी सेन्सेशन नहीं होती और ऐसी अवस्था में पेशेंट अपना कोई भी काम करने में असमर्थ होता है। इसके विपरीत कुछ अनुभवी डॉक्टरों का मानना है की लकवा आने के दो या तीन दिन में ही मरीज़ में फर्क पड़ना शुरू हो जाता है और आने वाले कुछ महीनो में इनमे फर्क पड़ जाता है। इसके अलावा करवट का लकवे से क्या तालुक है हम इसके बारे में भी बात करेंगे, इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ;

लकवा शरीर में क्यों मारता है ?

  • लकवा मारने के आम तौर पर 2 कारण सबसे गंभीर माने जाते हैं, जिसमें एक ब्रेन हैम्ब्रेज है यानी दिमाग में जाने वाली ब्लड का पाइप फट जाना। और दूसरा कारण है कि दिमाग में खून की सप्लाई करने वाले पाइप में किसी न किसी तरह की ब्लॉकेज का आ जाना। 
  • वैसे ज्यादातर मामलों में लकवा पाइप ब्लॉक होने की वजह से होता है।

लकवे की समस्या क्यों उत्पन होती है इसके बारे में जानने के लिए आप बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करें। 

लकवे की समस्या कब व्यक्ति में उत्पन होती है ?

लकवा एक ऐसी बीमारी है जो अचानक से होती है। लकवा तब होता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे ब्लड का सर्कुलेशन रूक जाता है या फिर ब्रेन की कोई रक्त वाहिका फट जाती है। रक्त वाहिका फट जाने से मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिससे लकवे की समस्या उत्पन होती है।

लकवे की समस्या उत्पन होने पर कैसे लाए उसमे सुधार ?

  • पेशेंट को न्यूट्रल पोजिशन में रखे। उसे हर घंटे में करवट दिलवाएं। 
  • न्यूट्रीशियन से लकवे के मरीज़ के लिए डाइट चार्ट बनवाएं। लो कैलोरी, लो फैट और विटामिंस युक्त डाइट दें। बी-कॉम्पलेक्स देना जरुरी है। यह नर्व के लिए बेहतरीन विटामिन है।  
  • जैसे-जैसे दिमाग में थक्के का जोर कम होता है। दिमाग में बची हुई कोशिकाएं रिकवर होना शुरू हो जाती हैं। रिकवरी के हिसाब से एक्सरसाइज करवाएं। 
  • पैरों पर उसे धीरे-धीरे खड़ा करवाएं। हाथों से फंक्शनल काम होते हैं। एक्सरसाइज के लिए मशीनें उपलब्ध हैं। वहीं, होममेड तरीके भी हैं। पेशेंट खुद भी एक्सरसाइज कर सकता है। वहीं, अस्सिटेंट भी करवा सकते हैं। 
  • हाथों में रिकवरी आने पर ब्रश पकड़ना सिखाएं। हाथों को फंक्शनल बनाने के लिए बड़े से छोटे टास्क करवाए। यदि हाथों में रिकवरी आना शुरू हो चुका है। वह बारीक काम नहीं कर पा रहा है। उसे ब्रश पकड़ना सिखाएं। 
  • पेशेंट जैसे-जैसे रिकवर करता है। उसे सेल्फ डिपेंडेंट बनाएं, रिकवरी स्टेज में ऐसा करवाने से फायदा मिलेगा।  

लकवे की समस्या से निजात दिलवाने के लिए कौन-से बाहरी उपकरण सहायक है ?

  • रेजिडुअल पैरालिसिस स्टेज ये तकनीक आधुनिक है, इसका प्रयोग आज के समय में किया जाता है। इसके अलावा इसमें न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर भी शामिल है।
  • मिरर थैरेपी भी काफी मददगार है लकवे से मरीज़ को निजात दिलवाने के लिए।

यदि आप या आपके आस-पास कोई हो जो लकवे की समस्या से जूझ रहा है तो इसके लिए आप झावर हॉस्पिटल का चयन करें।

सुझाव :

लकवे की समस्या उत्पन होने पर आपको किन बातो का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में तो हम आपको उपरोक्त बता ही चुके है। लेकिन कोई भी तरीका अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर सलाह ले। 

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  • April 20, 2024

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हाथों की कंपन की न्यूरोलॉजिकल बीमारी के बारे में जानें

हाथों की कंपन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है जो अनेक लोगों को प्रभावित करती है। यह सामान्यतया हाथों के बेचैनी और त्रांगुट से जुड़ी होती है। यदि आप इस समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट ज्ञानेन्द्र झावर (Jhawar Neuro) आपकी सहायता कर सकते हैं। इस लेख में, हम आपको हाथों की कंपन की न्यूरोलॉजिकल बीमारी के बारे में विस्तार से बताएंगे और यहां ज्ञानेन्द्र झावर के द्वारा उपलब्ध उपचार के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। चलिए, हम इस विषय की खोज करें और हाथों की कंपन की न्यूरोलॉजिकल बीमारी की दुनिया को समझें।


  1. हाथों की कंपन के कारण और प्रकार

हाथों की कंपन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से अधिकांश मामलों में यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी के लक्षण होते हैं। इसमें उम्र, उपयोग की गई दवाओं, स्ट्रेस, बीमारी या घाव के कारण भी शामिल हो सकते हैं। इस खंड में, हम इन कारणों की विस्तार से चर्चा करेंगे और आपको अलग-अलग प्रकार की कंपन के बारे में जानकारी देंगे।


  1. लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट और उपचार

लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट ढूंढना महत्वपूर्ण होता है जब आपको हाथों की कंपन की समस्या होती है। डॉ. ज्ञानेन्द्र झावर (Jhawar Neuro) लुधियाना के प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट में से एक हैं जो हाथों की कंपन और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के लिए प्रमाणित हैं। इस खंड में, हम आपको उनके बारे में अधिक जानकारी और लुधियाना में न्यूरोसर्जन के रूप में उपलब्ध उपचार की जानकारी प्रदान करेंगे।


  1. बच्चों के लिए न्यूरोलॉजी में महत्वपूर्ण भूमिका

बच्चों के न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना उचित देखा जाता है। इसके लिए, बेस्ट पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट का सहारा लिया जा सकता है। हम इस खंड में बच्चों के लिए न्यूरोलॉजी में महत्वपूर्ण भूमिका और लुधियाना में उपलब्ध बेस्ट पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट के बारे में चर्चा करेंगे।


  1. हाथों की कंपन का इलाज और उपचार

हाथों की कंपन का उपचार न्यूरोलॉजिकल समस्या के प्रकार और उसके कारण पर निर्भर करेगा। इस खंड में, हम आपको हाथों की कंपन के उपचार के विभिन्न आयुर्वेदिक, औषधीय और साइकोथेरेपी विकल्पों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।


  1. न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का बचाव और सावधानियां

न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को पहचानना और उन्हें बचाव करना महत्वपूर्ण है। हम इस खंड में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के बचाव के लिए महत्वपूर्ण सावधानियों के बारे में चर्चा करेंगे और आपको इन समस्याओं को संभालने के लिए उपयोगी सुझाव प्रदान करेंगे।

समापन

 विभिन्न उपचार विकल्पों की मदद से आप हाथों की कंपन को कम कर सकते हैं और इस समस्या से राहत पा सकते हैं। बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना डॉ. ज्ञानेन्द्र झावर (Jhawar Neuro) आपकी सहायता कर सकते हैं और इस समस्या को समझने, उपचार करने और संभालने में आपको मदद कर सकते हैं। आपके हाथों को स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए अपनी स्वास्थ्य को संभालने के लिए न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह लेना एक अच्छा कदम हो सकता है।

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