आजकल दिमागी समस्याएं बहुत ज्यादा उत्पन्न हो रही हैं, जैसे ब्रेन ट्यूमर जो आज के समय में बच्चों में भी देखा जा रहा है। हालांकि ब्रेन ट्यूमर एक गंभीर स्थिति है, जिसका समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है। आपको बता दें कि ब्रेन ट्यूमर दिमाग में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि है। दरअसल दिगमग की शारीरिक रचना बहुत ज़्यादा जटिल होती है, जिसके अलग- अलग भाग दिमागी प्रणाली के विभिन्न कार्यों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। आपको बता दें की ब्रेन ट्यूमर दिमाग में या फिर खोपड़ी के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है, जिस में उसकी सुरक्षात्मक परत, दिमाग का निचला भाग, ब्रेनस्टेम, साइनस और नासिका गुहा, और कई अन्य क्षेत्र आदि शामिल हैं। ये हैरान कर देने वाला हो सकता है कि हमारे दिमाग में 120 से ज़्यादा विभिन्न प्रकार के ट्यूमर विकसित हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वह दिमाग की किस नस में पैदा हो रहा है।
इसके साथ ही जब बात हमारे बच्चों के स्वास्थ्य की आती है, तो सतर्कता बहुत जरूरी होती है और उसका शीघ्र निदान करना भी बहुत ज़रूरी है। हालांकि ब्रेन ट्यूमर, अपेक्षाकृत दुर्लभ है, और यह बच्चों को प्रभावित करने वाली सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों का जल्द पता लगाने और समय पर चिकित्सा सहायता लेने से परिणामों में काफी सुधार हो सकता है। इस लेख के माध्यम से कुछ सबसे आम संकेत और लक्षण बता रहे हैं जो संभावित ब्रेन ट्यूमर की ओर इशारा कर सकते हैं।
बच्चों में ब्रेन ट्यूमर के 8 चेतावनी संकेत क्या हैं?
1. लगातार सिरदर्द:
अक्सर बच्चे सिरदर्द की शिकायत करते हैं। ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित कई बच्चों को निदान से पहले ही सिरदर्द का अनुभव होने लगता है। आपको बता दें कि कई बच्चों को सिरदर्द होता है, पर उनमें से ज्यादातर बच्चों को ब्रेन ट्यूमर नहीं होता है। बच्चों का लगातार सिरदर्द जो ठीक नहीं होता, खासकर सुबह के समय ज़्यादा तेज़ या रात में बच्चे को जगा देने वाला सिरदर्द एक चेतावनी भरा संकेत हो सकता है। ऐसा आंशिक रूप से इसलिए होता है, क्योंकि बच्चे के लेटने पर मस्तिष्क में दबाव बढ़ जाता है, और ट्यूमर इस को और भी ज्यादा बदतर बना सकता है। जिससे लगातार सिरदर्द हो सकता है और जिस पर सामान्य दर्द निवारक दवाओं का भी असर नहीं हो सकता है।
2. मतली और उल्टी:
आमतौर पर मतली और उल्टी फ्लू या फ्लू जैसी बीमारियों के दो सामान्य लक्षण हैं। अगर यह खासकर सुबह के समय होती हैं और किसी अन्य सामान्य बीमारी से संबंधित नहीं होती है, तो यह ब्रेन ट्यूमर के कारण बढ़े हुए इंट्राक्रैनील दबाव का संकेत हो सकती हैं। अगर यह लक्षण आपके बच्चे में बने रहें, और बार -बार बिना किसी स्पष्ट कारण के दिखाई देते हैं, या सिरदर्द के साथ मेल खाते हों, तो आपको बच्चे के किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लेना बहुत जरूरी है।
3. नींद आना:
आमतौर पर बच्चे का ज्यादातर नींद में होना चिंता का विषय नहीं होता। पर अपनी सहज प्रवृत्ति पर ध्यान दें। आपको बता दें कि अगर आपका बच्चा बिना किसी स्पष्ट कारण के सुस्त या फिर बहुत ही ज्यादा नींद में रहने लगे, तो आपको अपने डॉक्टर से इसके बारे में सलाह लेनी चाहिए, कि इसके लिए आगे की जांच जरूरी है।
4. दृष्टि, सुनने या वाणी में परिवर्तन:
आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर के स्थान के आधार पर, यह दृष्टि, सुनने और वाणी को प्रभावित कर सकता है। बेशक, जिन बच्चों का ब्रेन ट्यूमर से कोई लेना-देना नहीं होता है, उन बच्चों को भी इन क्षेत्रों में ऐसी समस्याएं होती हैं। फिर भी, आपके बच्चे को देखने, सुनने या बोलने के तरीके में अचानक आए बदलावों का मूल्यांकन किसी चिकित्सक के द्वारा ही किया जाना चाहिए।
5. व्यक्तित्व में परिवर्तन:
आपको बता दें कि व्यक्तित्व में बदलाव पालन-पोषण का ही एक बिल्कुल सामान्य हिस्सा हो सकता है। बहुत ही कम मामलों में, यह परिवर्तन दिमाग के ट्यूमर की वजह से हो सकता है, जो सेरेब्रल कॉर्टेक्स को प्रभावित करता है। दरअसल अगर आपको अपने बच्चे के मूड में बदलाव या फिर व्यक्तित्व में बदलाव अचानक या फिर मामला गंभीर लगे, तो आपको अपने बच्चे के बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
6. संतुलन और तालमेल संबंधी समस्याएं:
चलने में कठिनाई, भद्दापन और तालमेल की कमी, दिमागी ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं जो सेरिबैलम को प्रभावित करता है। आपको बता दें कि अगर ट्यूमर ब्रेन स्टेम के पास हो, तो इस से संतुलन की समस्या हो सकती है। बच्चों के लिए ज़्यादातर गिरना आम बात है। पर आपके छोटे बच्चे में संतुलन की गंभीरता या बिगड़ती समस्या के लिए डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। अगर आपके बड़े बच्चे को अचानक संतुलन बनाए रखने में दिक्कत हो रही है, या आपका बच्चा असामान्य रूप से अस्थिर लगता है, और उस को काम करने में परेशानी हो रही है, जिनमें सूक्ष्म मोटर कौशल की आवश्यकता होती है, तो आपको चिकित्सीय सलाह लेना बहुत जरूरी होता है।
7. दौरे :
दरअसल दौरे पड़ना, बच्चों में ब्रेन ट्यूमर के सबसे खतरनाक लक्षणों में से एक है। आपको बता दें कि जब ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क की सतह पर होता है, तो यह दौरे पढ़ने का कारण बन सकता है। आमतौर पर ऐसी कई गतिविधियां हैं, जो दौरे को ट्रिगर कर सकती हैं, जिसमें हंसना भी शामिल है। इसके साथ ही दौरे के दौरान अनियंत्रित झटके, बेहोशी या असामान्य संवेदी अनुभव किये जा सकते हैं। अगर आपके बच्चे को दौरा पड़ता है, या बच्चे को दौरे पड़ रहे हैं, तो तुरंत आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। इस समस्या का कारण ट्यूमर या किसी और तंत्रिका संबंधी समस्या का संकेत हो सकता है। पर दौरे का हमेशा मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
8. सिर का आकार बढ़ना:
दरअसल जब शिशु छोटे होते हैं, तो उनकी खोपड़ी की हड्डियां अभी तक जुड़ी या फिर एक साथ बढ़ी नहीं होती है। हालाँकि उनकी हड्डियां अभी भी लचीली होती हैं, इसलिए ब्रेन ट्यूमर आमतौर पर उनके सिर को असामान्य रूप से बढ़ने का कारण बन सकता है। अगर आप अपने शिशु की खोपड़ी में या इसके आकर में एक तरफ उभार या कोई और गंभीर बदलाव को देखते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए। आपका डॉक्टर यह तय करने में आपकी मदद कर सकता है कि क्या आगे की जांच करनी जरूरी है।
बच्चों में ब्रेन ट्यूमर के संभावित कारण
- आनुवंशिक परिवर्तन
दरअसल डीएनए में असामान्य परिवर्तन या परिवर्तन अनियंत्रित कोशिका विभाजन की वजह बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ट्यूमर पैदा होता है। आमतौर पर यह आनुवंशिक परिवर्तन अनियमित रूप से हो सकता है, या फिर परिवार के किसी सदस्य से विरासत में मिल सकता है, जैसा कि ली-फ्रामेनी सिंड्रोम या टर्कोट सिंड्रोम जैसे सिंड्रोम में देखा जाता है।
- विकिरण जोखिम
आपको बता दें कि कैंसर के इलाज या पर्यावरणीय स्रोतों से निकलने वाले आयनकारी विकिरण की उच्च खुराक के संपर्क में आने पर ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है। दरअसल पर्याप्त सुरक्षा के बिना एक्स-रे जैसे विकिरण उत्सर्जित करने वाले उपकरणों का लंबे समय तक इस्तेमाल भी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
- पारिवारिक इतिहास
हालांकि यह बहुत ही कम होता है, पर ब्रेन ट्यूमर या विशिष्ट आनुवंशिक स्थितियों का पारिवारिक इतिहास व्यक्तियों में ट्यूमर के विकास के लिए पूर्व-प्रवृत्त हो सकता है। आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि लगभग 5 से 10% ब्रेन ट्यूमर आमतौर पर वंशानुगत आनुवंशिक कारकों से जुड़े होते हैं।
- आयु और लिंग
आमतौर पर, ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है, पर कुछ किस्म के ट्यूमर ख़ास उम्र समूहों में ज़्यादा प्रचलित होते हैं। उदाहरण के तौर पर, ग्लियोमा वयस्कों में ज्यादा आम है, जबकि बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा देखा जाता है। दरअसल लिंग भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही मेनिंगियोमा महिलाओं में ज्यादा आम है।
- जीवनशैली कारक
ब्रेन ट्यूमर होने के जीवनशैली कारक भी जिम्मेदार होते हैं। हालांकि धूम्रपान या शराब का सेवन जैसे जीवनशैली कारक सीधे तौर पर दिमागी ट्यूमर से जुड़े नहीं हैं, पर समग्र स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव दिमाग में फैलने वाले और कैंसरों के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशीलता में योगदान कर सकता है।
निष्कर्ष
हालांकि बच्चों में ब्रेन ट्यूमर बहुत ही कम होते हैं, पर संभावित चेतावनी संकेतों के बारे में जागरूक होना काफ़ी ज़्यादा मददगार साबित हो सकता है। बच्चे का लगातार सिरदर्द, मतली और उल्टी, नींद आना, दृष्टि, सुनने या वाणी में परिवर्तन, व्यक्तित्व में परिवर्तन, संतुलन और तालमेल संबंधी समस्याएं, दौरे और सिर का आकार बढ़ना जैसे चेतावनी भरे संकेत अगर आपको अपने बच्चे में दिखाई दें तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। बेहतर परिणामों के लिए शुरुआती पहचान और उपचार बेहद जरूरी हैं। इससे आपको काफी मदद मिल सकती है। अगर आपको भी अपने बच्चे में इस तरह के संकेत दिखाई दे रहे हैं, और आप इसके बारे में जानकारी लेना चाहते हैं, और तुरंत इसका समाधान चाहते हैं, तो आप आज ही झावर न्यूरो हॉस्पिटल में जाके अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त प्राप्त कर सकते हैं।