आप जब सुबह के समय उठते हैं, तो सबसे पहले क्या करते हैं, अपना फ़ोन उठाते हैं और उसमें कुछ न कुछ स्क्रॉल करने लग जाते हैं, ऐसा आप ही नहीं, बल्कि कई लोग ऐसा करते हैं। सोशल मीडिया का जमाना है। जिधर नजर डालो उधर हर व्यक्ति अपने फोन के स्क्रीन को स्क्रॉल ही करता रहता है। सोशल मीडिया स्क्रोलिंग करने के दौरान आपकी नजर में कुछ अच्छी खबरें भी आती है, तो कुछ निगेटिव खबर भी देखने को मिलती है। तो आप इन ख़बरों में ही फंस जाते हैं और उसी में अटके रहते हैं। वहीं जो लोग बहुत ज्यादा ऑनलाइन नेगेटिव समाचारों को देखने में अपना समय बिताते हैं, उसको डूम स्क्रोलिंग के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर आपका मोबाइल की स्क्रीन पर स्क्रॉल करते रहना ज्यादातर आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर रहा है। दरअसल यह शब्द डूम और स्क्रोलिंग से मिलकर बना है, जिसमें डूम का मतलब है विनाश और स्क्रोलिंग का मतलब है मोबाइल की स्क्रीन पर स्क्रॉल करते रहना। आइये इस लेख के माध्यम से इसके एक्सपर्ट से जानते हैं, कि डूम स्क्रॉलिंग क्या है, यह कैसे आपकी मेंटल हेल्थ पर खराब असर डाल रहा है और इससे आप लोग कैसे बच सकते हैं ?
डूम स्क्रॉलिंग क्या है?
दरअसल डूम स्क्रॉलिंग वास्तव में नया नहीं है, पर यह शब्द नया है। बता दें कि डूमस्क्रॉलिंग’ शब्द आमतौर पर दो शब्दों ‘डूम’ और ‘स्क्रॉलिंग से मिलकर बना है। डूम और स्क्रॉल का मतलब हम आपको पहले ही बता चुके हैं। दरअसल यह एक नियमित रूप से और लंबे समय तक सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते हुए बुरी खबरें और नकारात्मक पोस्ट को पढ़ने की आदत होती है। आमतौर पर महामारी ने डूमस्क्रॉलिंग को सबसे आगे ला दिया है और ज्यादातर लोगों को इस विनाशकारी गतिविधि में शामिल कर लिया है। इसकी शुरुआत खबरों से अपडेट रहने के तरीके के रूप में शुरू हो सकती है, पर डूमस्क्रॉलिंग बहुत जल्द एक बुरी आदत में बदल सकती है, और कुछ लोगों के लिए तो यह जुनून या फिर कुछ लोगों के लिए मजबूरी भी बन सकती है। इसमें आप एक खबर से दूसरी खबर, एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर स्क्रॉल करते रहते हैं, पर ऐसा लोग क्यों करते हैं?
हम डूम स्क्रॉलिंग क्यों करते हैं?
आमतौर पर महामारी ने डूमस्क्रॉलिंग को बढ़ावा दिया और इस गतिविधि को यह नाम दिया। दरअसल डूमस्क्रॉलिंग शब्द कोरोना के वक्त ज्यादा चर्चा में आया था, पर कोरोना वायरस महामारी के कारण और भी लोगों ने इस आदत को अपना लिया और आज भी ज्यादातर व्यक्ति इस आदत को हावी होते हुए देख रहे हैं। सभी जानते हैं, कि कोरोना के समय में हर व्यक्ति नेगेटिव खबरों से घिरा रहता था और उस को हर एक अपडेट लेनी होती थी। इसी तरह आज के समय में कई लोग क्राइम की ख़बरों को देखते हैं और उनको यह बार-बार देखना अच्छा लगता है, क्योंकि इंसान का दिमाग पहले से ही किसी खतरे को पहचानने की कोशिश करता है। दरअसल जब कोई व्यक्ति किसी नेगेटिव खबर को लगातार देखता रहता है, तो उसको लगता है, कि वह उस खबर को लगातार देखकर खुद को आगे के लिए सावधान कर रहा है, या फिर इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त कर रहा है। जबकि ऐसा बिलुक भी नहीं होता है, दरअसल इन सब चीजों से तनाव, डर और बेचैनी बढ़ती है और यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है।
डूम स्क्रॉलिंग का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
दरअसल जब आप लगातार नेगेटिव ख़बरें या फिर अपने आप को परेशान कर देने वाली ख़बरों को पड़ते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव आपके दिमाग और आपके शरीर पर पड़ता है। ऐसा करने पर आपके दिमाग का एक हिस्सा एमिग्डाला एक्टिव हो जाता है, जिसका संबंध भावनाओं और खासतौर पर डर और चिंता से होता है। इस स्थिति में व्यक्ति के तनाव वाला हार्मोन कॉर्टिसोल एक्टिव हो जाता है, जिससे आपका मूड, नींद और ध्यान सब कुछ खराब हो जाता है। आमतौर पर डूमस्क्रॉलिंग आपके डोपामिन सिस्टम को भी एक्टिव कर देता है, जिसमें आप नेगेटिव और टेंशन से भरी ख़बरों को बार बार देखना पसंद करते हैं। जब आपको इसकी आदत लग जाती है, तो आप बहुत ही ज्यादा चिड़चिड़े होने लग जाते हैं और आप किसी एक विचार पर टिक नहीं पाते हैं। इसके अलावा कभी कभी आपको बहुत ज्यादा डर लगता है और बेचैनी होती है। इस तरह की स्थिति में इसके कई मरीज बताते हैं की देर रात तक स्क्रॉल करने से उन्हें फ्यूचर की चिंता बढ़ जाती है और नींद भी नहीं आती है।
- यह नकारात्मक विचारों और भावनाओं को और मजबूत करता है।
- व्यक्ति की मानसिक बीमारी को और बिगाड़ देता है।
- डूमस्क्रॉलिंग से घबराहट और चिंता में बढ़ोतरी होती है।
- व्यक्ति की नींद में कमी हो जाती है।
- विरोधाभासी पोस्ट मन में बेचैनी पैदा करती हैं।
- डूम स्क्रॉलिंग के दौरान और बाद में आंखों में दर्द होता है।
- ज्यादातर व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आ जाता है।
- ध्यान में कमी को पैदा करता है।
- डूम स्क्रॉलिंग से व्यक्ति को सिरदर्द और थकान होने लगती है।
- यह सामाजिकता में कमी पैदा करता है।
- सोशल मीडिया और डूमस्क्रॉलिंग तनाव वाले हार्मोन को ट्रिगर करते हैं।
क्या इससे महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं?
हाँ यह माना जाता है, की डूमस्क्रॉलिंग से ज्यादातर महिलाएं प्रभावित होती हैं। बता दें कि हमारे दिमाग के लिम्बिक सिस्टम से इस आदत का संबंध होता है। आमतौर पर यह हम को खतरों से सावधान रहने की चेतावनी देता है। अगर आप लगातार नेगेटिव ख़बरों को देखने में अपना समय बिताते हैं, तो आपका दिमाग ऐसी खबरों को देखने और इनको पढ़ने के लिए मजबूर करता रहेगा।
डूमस्क्रॉलिंग आदत से कैसे छुटकारा पाएं
दरअसल डूम स्क्रॉलिंग एक ऐसी आदत है, जिस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही इस बात को समझना बहुत जरूरी है, कि आप यह स्क्रॉल सुबह या रात के समय में तो बिल्कुल भी न करें।
- समय सीमा तय करें।
आमतौर पर आप ख़बरों को देखने के लिए एक समय निर्धारित करें, इसके साथ ही आप सुबह उठते ही फोन को स्क्रॉल न करें और हां रात को सोने से पहले भी फोन को न चलाएं।
- अपनी फीड को ठीक करें।
दरअसल यह बहुत ज्यादा मायने रखता है, की आपके फोन पर फीड किस तरीके का आ रहा है क्योंकि इस बात पर भी आपका मानसिक संतुलन निर्भर करता है। आप अपने फ़ोन की फीड में नेगेटिव ख़बरों को बिलकुल भी न आने दें। उन सभी अकाउंट्स और पेज को अनफॉलो कर दें, जो आपको नेगेटिव ख़बरों की तरह लेकर जाते हैं और इनको बार बार न देखें।
- माइंडफुलनेस अपनाएं।
इस तरह की स्थिति में एक गहरी सांस लें, मेडिटेशन करें और वॉक करें। इन सब चीजों को अपनी डेली रूटीन में अपनाएं, और यह सब करने से आपकी स्क्रॉल करने की आदत धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
- दूसरी आदतें अपनाएं।
इस दौरान आप दूसरी आदतों को अपना सकते हैं, जैसे जब भी आपका फोन स्क्रॉल करने का मन करे, या फिर इस तरीके का कुछ भी देखने को मन करे, तो उसी दौरान आप उस जगह कुछ और करने लग जाए, जैसे किताब पढ़ना, अपना पसंदीदा काम करना, म्यूजिक सुनना आदि।
- जानकारी रखें, लेकिन ज्यादा नहीं।
हर चीज की जानकारी को रखना सही होता है, जानकारी रखें, पर ज्यादा नहीं। इस दौरान जब भी आपको ख़बरों को पढ़नी हो या फिर जानकारी लेनी हो, तो एक या दो भरोसेमंद वेबसाइट से ही ख़बरों को देखें या पढ़ें, पर इस दौरान आप और वेबसाइट्स पर जाने से बचें और युहीं बेवजह अपने आप को परेशान न करें।
निष्कर्ष
सुबह उठते समें लगभग सभी लोग पहले आपाने फ़ोन को चेक करते हैं और उसमें कुछ न कुछ स्क्रॉल करने लग जाते हैं। लोगों द्वारा बहुत ज्यादा नेगेटिव समाचारों को देखना और अपना सारा वक्त उसी में बतीत करना डूम स्क्रोलिंग कहलाता है। आज के समय में डूमस्क्रॉलिंग एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। इसलिए आपके लिए जरूरी है की आप जागरूक रहें। ख़बरों को पढ़ें, पर सिर्फ जानकारी के लिए, इसकी गहराई तक जाने की कोशिश बिलकुल भी न करें। अगर आप स्क्रीन पर अपना ज्यादा समय बतीत करते हैं, तो आप चिड़चिड़ापन, तनाव और डर जैसी समस्याओं से जूझ सकते हैं। अगर डूमस्क्रॉलिंग करने से अपना मन खराब होता है या फिर गुस्सा आता है, तो आपको किसी एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए, और अपने फ़ोन से कुछ वक्त के लिए दुरी बना कर रखनी चाहिए। अगर आपको भी डूमस्क्रॉलिंग से किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है और आप इसका इलाज करवाना चाहते हैं तो आज ही झावर न्यूरो हॉस्पिटल में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1. मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या डूम स्क्रॉलिंग खराब है?
हां, डूम स्क्रॉलिंग हमारे स्वास्थ्य के लिए खराब है। इसे करने से मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर यह हमको चिंता, तनाव और डर की ओर ले जाता है।
प्रश्न 2. मेंटल हेल्थ कैसे ठीक करें?
अपनी मेंटल हेल्थ को ठीक करने के लिए आपको सही रूटीन को अपनाना चाहिए, जैसे सही आहार लें, हाइड्रेटेड रहें और व्यायाम करें। इसके साथ ही अपने पसंदीदा काम करें और अपने आप को खुश रखने की कोशिश करें।