अगर आपको माइग्रेन और डिप्रेशन की समस्या है, तो आप अकेले नहीं हैं। आपको बता दें कि डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को माइग्रेन होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसके अलावा, जिन लोगों को सिरदर्द होता है, उनको डिप्रेशन होने की भी संभावना बहुत ज्यादा होती है।
दरअसल माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों ही एक इस तरीके की बीमारी है, जिसमें व्यक्ति बहुत ही ज्यादा परेशान रहता है और व्यक्ति ज्यादातर मानसिक रूप से प्रभावित रहता है। इस तरह की स्थिति में लोग ज्यादातर दिमाग से जुड़े लक्षणों को महसूस करते हैं। जबकि माइग्रेन में तेज सिर दर्द के साथ साथ शरीर में कई प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जो कि दिमाग की असामान्य गतिविधियों के कारण महसूस हो सकता है। अगर हम बात करें डिप्रेशन की तो यह एक मानसिक समस्या है, जिसमें आमतौर पर व्यक्ति के सोचने का तरीका, महसूस करने का तरीका और इसके साथ ही उस के काम करने का तरीका भी प्रभावित हो सकता है।इसके पर सवाल यह उठता है कि क्या इन दो अलग-अलग बीमारियों के बीच कोई कनेक्शन हो सकता है? आइये इस लेख के माध्यम से इसके बारे में डॉक्टर से जानते हैं।
माइग्रेन और डिप्रेशन के बीच क्या कनेक्शन है?
दरअसल माइग्रेन और डिप्रेशन के बीच में एक गहरा कनेक्शन हो सकता है। पहले इस चीज को समझना जरूरी है कि डिप्रेशन और माइग्रेन के क्या लक्षण होते हैं?
माइग्रेन और डिप्रेशन के लक्षण :
- माइग्रेन:
माइग्रेन के दौरान व्यक्ति को सिर में तेज दर्द, अक्सर सिर के एक तरफ दर्द, उल्टी आना, मतली होना और इसके साथ ही रोशनी और आवाज़ से परेशानी होना।
- डिप्रेशन:
इस दौरान व्यक्ति को लगातार उदासी, थकान, कुछ भी अच्छा न लगना, नींद और भूख में बदलाव होना, जिंदगी में दिलचस्पी कम होना।
दरअसल माइग्रेन और डिप्रेशन का कनेक्शन एक दूसरे को बड़ा सकता है। आपको बता दें कि जिन लोगों को माइग्रेन होता है, उनको डिप्रेशन होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है और उसके साथ ही जिनको डिप्रेशन की समस्या होती है उनमें माइग्रेन विकसित हो सकता है या फिर और ज्यादा बढ़ सकता है। हालांकि विशेषज्ञ बताते हैं कि माइग्रेन और डिप्रेशन के बीच के कनेक्शन के बारे में समझना मरीजों और डॉक्टरों दोनों के लिए आवश्यक होता है। माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों में सेरोटोनिन (एक दिमागी केमिकल) का असंतुलन होता है, दरअसल सेरोटोनिन की कमी माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों का कारण बन सकता है।
आपको बता दें कि खराब नींद और ज्यादा तनाव, दोनों समस्याओं को ट्रिगर कर सकते हैं। इसके साथ ही यह संबंध माइग्रेन के कारण होने वाले पुराने दर्द और खराब जीवनशैली के कारण भी हो सकता है, जिसकी वजह से असहायता और हताशा की भावनाएं पैदा होती हैं। आमतौर पर माइग्रेन का दर्द डिप्रेशन को बढ़ा सकता है और डिप्रेशन से माइग्रेन बार-बार आ सकता है। इसके अलावा माइग्रेन में योगदान देने वाले न्यूरो बायोलॉजिकल कारक डिप्रेशन के लक्षणों की शुरुआत में एक बड़ी भूमिका को निभाते हैं। माइग्रेन के दौरान व्यक्ति को थकान और काम करने की इच्छा बिलकुल नहीं होती है और इस तरह के लक्षण डिप्रेशन में भी होते हैं, जिसके कारण हालत और बिगड़ सकती है। आपको बता दें कि कुछ माइग्रेन की दवाएं डिप्रेशन को कम कर सकती हैं और कुछ डिप्रेशन की दवाएं माइग्रेन को, पर इस बात का ध्यान रखें कि कुछ दवाएं दोनों में से किसी एक को बढ़ा भी सकती हैं, इसलिए इस दौरान डॉक्टर की सलाह लेना बहुत ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा आप इन दोनों के बीच में और कनेक्शन को भी देख सकते हैं, जैसे कि
माइग्रेन का दर्द और डिप्रेशन
बता दें कि माइग्रेन का दर्द और डिप्रेशन का आपस में एक गहरा संबंध है। दरअसल यह एक-दूसरे को बढ़ा सकते हैं, क्योंकि माइग्रेन की समस्या से परेशान लोग अक्सर लंबे समय तक दर्द को सहते हैं, जिसके कारण मानसिक तनाव बढ़ जाता है और यह मानसिक तनाव धीरे-धीरे डिप्रेशन में बदल जाता है। आमतौर पर जब व्यक्ति लगातार उदासी, चिंता या नींद की परशानी से लड़ता है, तो इस दौरान उस व्यक्ति को माइग्रेन के अटैक ज़्यादा हो सकते हैं। जानकारी के मुताबिक दोनों की वजह एक जैसी हो सकती है, जैसे नींद की कमी, तनाव, हार्मोन बदलाव और जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं आदि। दरसल माइग्रेन से पीड़ित लोगों में ख़ास तौर पर जो लोग पुराने माइग्रेन से पीड़ित हैं, उनमें तीव्र चिंता और एंग्जायटी के लक्षण देखे जाते हैं। इस दौरान आपके न्यूरॉन्स काफी ज्यादा प्रभावित रहते हैं और आपके शरीर में मूड स्विंग्स के रूप में दिखाई देते हैं। इस तरह की स्थिति में व्यक्ति खुद को लो और बीमार महसूस करता है और यह आपके सोचने के तरीके को भी प्रभावित करता है, जिसकी वजह से आपको डिप्रेशन के लक्षण महसूस हो सकते हैं। हालांकि रिसर्च के अनुसार माइग्रेन के मरीजों में डिप्रेशन होने का खतरा आम लोगों से 2 से 3 गुना ज्यादा होता है।
माइग्रेन की वजह से डिप्रेशन कैसे हो सकता है?
दरअसल माइग्रेन, डिप्रेशन की समस्या का कारण बन सकता है क्योंकि इन दोनों के बीच में आम जेनेटिक प्रवृत्तियां शामिल हैं। माइग्रेन की समस्या में आमतौर पर दर्द बहुत तेज और बार-बार होता है। अक्सर व्यक्ति जब सिरदर्द से पीड़ित रहता है तो वह शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाता है। इसके अलावा न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन भी डिप्रेशन की वजह बन सकता है। आपको बता दें कि सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों स्थितियों में योगदान कर सकता है। माइग्रेन के कारण व्यक्ति का बाहर जाना, लोगों से मिलना-जुलना बंद हो जाता है और इसके कारण व्यक्ति को अकेलापन और उदासी महसूस होती है, जो डिप्रेशन की तरफ लेकर जा सकती है। इसके साथ ही तनाव और चिंता डिप्रेशन और माइग्रेन दोनों को ट्रिगर कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, आप कल्पना कीजिए, अगर किसी व्यक्ति को महीने में 10 बार माइग्रेन होता है और हर बार तेज दर्द, उल्टी, रोशनी से चिढ़, और काम भी छूट जाता है। इसकी वजह से उसकी जिंदगी परेशान हो जाती है और वह खुद को धीरे-धीरे अकेला महसूस करने लगता है और उदास रहने लगता है। यह सभी बातें मिलकर उसके डिप्रेशन की शुरुआत का कारण बन सकती हैं।
डिप्रेशन और माइग्रेन के दौरान क्या करें
- दोनों स्थितियों के लिए न्यूरोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिस्ट से मिलें।
- समय पर दवाएं लें और हेल्दी रूटीन को अपनाएं।
- मनोचिकित्सक।
- अपनी स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव करें।
रोकथाम
दरअसल बार-बार होने वाले इस दर्द से व्यक्ति दुखी और परेशान रहने लगता है। इन दोनों स्थितियों में व्यक्ति का स्ट्रेस मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए निम्नलिखित चीजों को रोजाना अपनी जिंदगी में शामिल करने से डिप्रेशन और माइग्रेन के लक्षणों को कम, और डिप्रेशन और माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले कारकों की पहचान कर उनको रोका जा सकता है, जैसे
- ध्यान, योग और गहरी सांस लेने वाली कसरत को करें, यह तनाव कम करने में मदद करता है।
- इस दौरान डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों का इलाज संभव है।
- रोजाना शारीरिक गतिविधि करें, यह माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों के लक्षणों को कम करता है।
- अपनी नींद को संतुलित करें, एक अच्छी नींद लें और हर दिन समय पर सोना-उठना इसका पालन करें।
- अपने पास एक डायरी रखें, उसमें कब माइग्रेन आया, क्या ट्रिगर था उसके बारे में लिखें। यह जानकारी लपके इलाज के लिए लाभदायक हो सकती है।
- फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें।
- ज्यादातर परिवार या अपने दोस्तों से बात करें यह आपके अकेलेपन को कम करता है और माइग्रेन और डिप्रेशन जैसी स्थितिओं को उत्पन्न होने से रोकता है।
निष्कर्ष
आज के समय में कई लोग माइग्रेन और डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं, इसका कारण खराब जीवनशैली, लोगों का गलत खान पान, हार्मोनल इंबैलेंस, तनाव और नींद में गड़बड़ी होती है। माइग्रेन का दर्द बहुत ज्यादा तकलीफदेह होता है। माइग्रेन और डिप्रेशन में बार-बार होने वाले इस दर्द से व्यक्ति दुखी और परेशान रहने लगता है। माइग्रेन और डिप्रेशन का कनेक्शन एक दूसरे को बड़ा सकता है। नींद की कमी, तनाव, हार्मोन बदलाव और जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों का कारण एक जैसा ही होता है। आपको माइग्रेन का दर्द और डिप्रेशन, दोनों के लक्षणों को पहचानकर इस बीमारी से अपना बचाव करना चाहिए। इस तरह की स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें और डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि वक्त के साथ यह दोनों बीमारी एक गंभीर रूप ले सकती हैं। इसलिए समय समय पर अपने आप को डॉक्टर को दिखाते रहे। इसके साथ ही दोनों को ट्रिगर करने वाले कारकों की पहचान करें, ताकि यह समस्या आपको लंबे समय तक परेशान न करें। अगर आपको भी माइग्रेन और डिप्रेशन की समस्या है और आप इस समस्या से काफी परेशान हैं और आप इस समस्या का इलाज करवाना चाहते हैं और इसके बारे में जानकारी लेना चाहते हैं तो आप आज ही झावर न्यूरो हॉस्पिटल जाकर आपकी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।