सेरेब्रल एट्रोफी क्या है जानिए इसको को कैसे रोकें ?

हमारा मस्तिष्क कई तरह की तारों के नेटवर्क में होता है, और इन तारों को न्यूरॉन्स कहा जाता है। और इन कोशिकाओं के सिकुड़ने को ही सेरेब्रल एट्रोफी के नाम से जाना जाता है, तो अगर आप भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको इसका ख़ास ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा हम आज के लेख में ये पता लगाने की कोशिश करेंगे की सेरेब्रल एट्रोफी हमारे दिमाग से संबंधित समस्या कैसे है ;

 

सेरेब्रल एट्रोफी क्या है ?

  • ये हमारे दिमाग से सम्बंधित कोशिका है और जब यह कोशिकाएं सिकुड़ने लगती है, तो उसे सेरेबेलर एट्रोफी कहते है। 
  • वहीं ब्रेन संकोचन, के कई अलग-अलग कारण एक साथ आते है और मस्तिष्क के ऊतकों को कम करते है, इस संकोचन का प्रभाव मस्तिष्क की क्रियाओं को दर्शाता है। इसमें मस्तिष्क के प्रभावित क्षेत्र द्वारा नियंत्रित कार्य भी होता है।
  • सेरेब्रल शोष तब होता है जब मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) और उनके बीच के संबंध क्षतिग्रस्त और नष्ट हो जाते है, जिससे मस्तिष्क की मात्रा में कमी आ जाती है। यह स्थिति उम्र, आनुवंशिकी, चिकित्सा स्थितियों और जीवनशैली विकल्पों सहित विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है।

सेरेब्रल एट्रोफी मस्तिष्क से जुडी एक गंभीर समस्या है और ऐसी स्थिति में व्यक्ति के हालात ख़राब हो जाए तो इससे बचाव के लिए उसे लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

 

मस्तिष्क के जोखिम को कम करने के लिए आप कौन-से कदम उठा सकते है !

 

मानसिक रूप से सक्रिय रहें : 

मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए बौद्धिक रूप से उत्तेजक गतिविधियों में संलग्न होना महत्वपूर्ण है। पढ़ना, पहेलियाँ सुलझाना, नई भाषा सीखना या कोई नया शौक अपनाना आपके दिमाग को तेज और सक्रिय रखने में मदद कर सकता है।

 

नियमित व्यायाम करें : 

शारीरिक गतिविधि न केवल आपके शरीर को बल्कि आपके मस्तिष्क को भी लाभ पहुंचाती है। नियमित व्यायाम मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है, नए न्यूरॉन्स के विकास को बढ़ावा देती है और संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ाती है। 

 

संतुलित आहार बनाए रखें : 

फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते है जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य का समर्थन करते है। मछली और नट्स में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड को विशेष रूप से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार से जोड़ा गया है।

 

गुणवत्तापूर्ण नींद लें : 

अपर्याप्त नींद मस्तिष्क शोष में योगदान कर सकती है। अपने मस्तिष्क को आराम देने, ठीक होने और यादों को मजबूत करने की अनुमति देने के लिए प्रति रात 7-9 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद का लक्ष्य रखें।

 

तनाव को प्रबंधित करें : 

दीर्घकालिक तनाव मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और संज्ञानात्मक कार्य को ख़राब कर सकता है। तनाव के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए ध्यान, गहरी सांस लेना या योग जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें।

 

सामाजिककरण करें : 

सामाजिक संपर्क मस्तिष्क को उत्तेजित करता है और संज्ञानात्मक भंडार बनाने और बनाए रखने में मदद करता है। दोस्तों और परिवार के साथ नियमित रूप से समय बिताने से मस्तिष्क स्वास्थ्य में योगदान मिल सकता है।

 

अपने सिर को सुरक्षित रखें : 

दर्दनाक मस्तिष्क की चोटें, यहां तक कि हल्की चोटें भी, मस्तिष्क शोष का कारण बन सकती है। उच्च जोखिम वाली गतिविधियों के दौरान हमेशा सुरक्षात्मक चीजे पहनें और उन स्थितियों में सतर्क रहें जहां सिर में चोट लगने का खतरा हो। यदि आपके सिर में कोई गहरी चोट लग गई है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

 

पुरानी स्थितियों को प्रबंधित करें : 

उच्च रक्तचाप, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी स्थितियां मस्तिष्क शोष के खतरे को बढ़ा सकती है। इन स्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ काम करें।

 

हानिकारक पदार्थों से बचें : 

अत्यधिक शराब का सेवन और नशीली दवाओं का दुरुपयोग मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और मस्तिष्क शोष में योगदान कर सकता है। अपने मस्तिष्क की सुरक्षा के लिए इन पदार्थों को सीमित करें या इनसे बचें।

 

हाइड्रेटेड रहें : 

निर्जलीकरण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को ख़राब कर सकता है, इसलिए हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर उचित जलयोजन बनाए रखना आवश्यक है।

 

याद रखें :

मस्तिष्क एक अत्यधिक अनुकूलनीय अंग है, जो जीवन भर नए न्यूरॉन्स और कनेक्शन उत्पन्न करने में सक्षम है, एक प्रक्रिया जिसे न्यूरोप्लास्टिकिटी के रूप में जाना जाता है। आपके मस्तिष्क को चुनौती देने वाली और पोषण देने वाली गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेकर, आप इसकी जीवन शक्ति और कार्यप्रणाली का समर्थन कर सकते है।

मानसिक रूप से अस्वास्थ्य होने पर आपको इसके इलाज के लिए झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

 

सारांश :

सेरेब्रल एट्रोफी एक चिंताजनक स्थिति है जो संज्ञानात्मक गिरावट और विभिन्न न्यूरोलॉजिकल विकारों को जन्म दे सकती है। हालाँकि, मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सक्रिय कदम उठाकर, जैसे मानसिक रूप से सक्रिय रहना, नियमित व्यायाम करना, संतुलित आहार लेना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव का प्रबंधन करके, आप मस्तिष्क शोष के जोखिम को काफी कम कर सकते है। इसके अतिरिक्त, हानिकारक पदार्थों से बचना, अपने सिर को चोट से बचाना और पुरानी स्थितियों का प्रबंधन करना आपके मस्तिष्क को और अधिक सुरक्षित रख सकता है।

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Why Is It Suggested to See a Neurologist When You Have a Toothache?

When we have a bad toothache, we go to the dentist, who diagnoses and treats the problem. After that, we still felt the pain as treatment did not seem adequate for us, so the real reason behind that is that they treated us well enough the pain was not on the tooth. It was paining on the nerve which connected our teeth muscles to the brain. 

Which conditions affect the brain as well as the tooth too? 

If you have experienced toothache during Sinusitis, and sometimes when the pain is extreme, you also experience pain in the centre of the head, which slowly spreads all over the brain. This way, it affects the brain and teeth both. 

How can a dentist help in dealing with Sinusitis?  

In these ways, a dentist can help you deal with Sinusitis, and if you face toothache due to it, it also helps by correcting that as well. 

  • To reduce the pain and swelling, the Dentist In Ludhiana can prescribe you medicines. 
  • The medications also provide relief to the jaw, which further helps in grinding and clenching.
  • Sometimes due to Sinusitis, an individual gets stressed as they are unable to perform some essential tasks like preparing a PPT or things like that, so to cope with that, doctors advise them to take antidepressants to relieve stress.
  •  While you are sleeping, a splint or night guard will protect your teeth and is also recommended by the dentist. 

Does Sinusitis cause headaches? 

They are prone to cause headaches due to sinus congestion and inflammation, which are called sinus headaches. What symptoms do you notice when Sinusitis affects the brain? 

  • You will see Difficulty in speaking, and it can also cause Trouble understanding what other people are saying. 
  • You must also experience Numbness or weakness on one side of the face or body caused by Sinusitis.
  • It also impacts the eye as it can cause Sudden double vision or Blurry vision. 

What is Root canal treatment for teeth? 

It is the process in which the infected pulp is removed surgically, then a filling is made, and the tooth gets covered to give a nice finish to the tooth. It was performed by experienced and practiced dentists who perform Dental Implant Surgery in Punjab.

Symptoms that indicate that you need a root canal treatment: 

  • You can feel pain due to an abscessed tooth. 
  • It also causes sensitivity when you have something hot or cold. 
  • Your gums can turn red as they are swollen and can also cause pimples on your gums.
  • In extreme cases, the jaw also gets swollen. 

Conclusion

The dentist can provide you with the best solution for your problem like Sinusitis, or if you want a tooth implant, they can help you treat it. They can solve all the issues. If you have something serious, they can bring the case to light so you can consult an expert. 

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क्यों हकलाता है आपका बच्चा? जानें इसके लक्षण और इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है?

हकलाने की समस्या जोकि हम छोटे बच्चों में अकसर देखते है पर जरा सोचे अगर आपका बच्चा बड़ा जो जाए उसके बाद भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहा हो तो कैसे हम ऐसे में बच्चे का बचाव कर सकते है। वही छोटे बच्चों में हकलाने के क्या है कारण, प्रकार और कैसे लक्षणों की मदद से हम इस तरह के बच्चों को ठीक कर सकते है इसके बारे में आज के आर्टिकल में बात करेंगे ;

क्या है हकलाने की समस्या ?

  • हकलाना जिसे अंग्रेजी में स्टैमरिंग या स्टटरिंग कहा जाता है, जो एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है। वही इस कंडीशन में व्यक्ति सामान्य रूप से बोल पाने की क्षमता को खो देता है। इसमें आमतौर पर व्यक्ति सामान्य रूप से बोलने की जगह बोलते समय किसी शब्द या अक्षर को बार-बार बोलने लगता है या फिर शब्द की ध्वनि को लंबा बना देते है। 
  • हकलाने से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर 4 से 7 साल के बच्चों में देखी जाती है। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे शब्दों को जोड़कर और उनका वाक्य बनाकर बोलना सीखने लगते है।

यदि आप या आपके बच्चे में हकलाने की समस्या उत्पन्न हो गई है तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करना चाहिए।

हकलाने की समस्या के कारण क्या है ?

  • सबसे पहले तो इसके कारण में फैमिली हिस्ट्री शामिल है। 
  • फिर न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर का आना।  
  • स्पीच सुनने या लैंग्वेज को समझने में दिक्कत का आना भी इसके एक कारण में शामिल है।

हकलाने के लक्षण क्या है ?

  • हकलाने के लक्षणों में सबसे पहले तो व्यक्ति किसी भी बात को शुरू करने से पहले डरता है और बात करते वक़्त वो हिचकिचाहत महसूस करता है। 
  • रुक-रुक कर बोलना, एक ही शब्द को बार-बार बोलना, तेज बोलना, बोलते हुए आंखें भींचना, होठों में कंपकपाहट होना, जबड़े का हिलना आदि। उच्चारण की समस्या होना और साफ न बोल पाना।

हकलाने के प्रकार क्या है ?

  • डेवलपमेंटल स्टैमरिंग, यह हकलाने का सबसे आम प्रकार है, जो आमतौर पर बचपन के शुरुआती दौर में देखा जाता है।
  • एक्वायर्ड स्टैमरिंग, इसे लेट स्टैमरिंग कहा जाता है, इसके अन्य कुछ प्रकार भी हैं जैसे –
  • न्यूरोजेनिक स्टैमरिंग, यह आमतौर पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण होता है।
  • साइकोजेनिक स्टैमरिंग, यह हकलाने की समस्या का एक असामान्य प्रकार है, जिसका मतलब है कि इसके मामले कम देखे जाते है।

हकलाने का इलाज क्या है ?

  • हकलाने की समस्या का इलाज अनुभवी डॉक्टर स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपिस्ट के द्वारा करते है, जिसमें वे मरीज के हकलाने की समस्या में सुधार करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते है। 
  • वही व्यक्ति को अगर किसी प्रकार की भावनात्मक समस्या के कारण हकलाने की समस्या हो रही है, तो अन्य साइकोलॉजिकल थेरेपी की मदद से स्थिति का इलाज किया जाता है। हालांकि, हकलाने की समस्या का इलाज आमतौर पर मरीज की उम्र, लक्षणों और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। 

सुझाव :

अगर आपका बच्चा कुछ ज्यादा ही हकला रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द ही डॉक्टर के संपर्क में आना चाहिए और इसके इलाज के लिए आपको झावर हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

हकलाने की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, वही बाल्यावस्था में इस तरह की समस्या अगर बच्चों को हो जाए तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन ये समस्या अगर युवावस्था में हो जाए तो व्यक्ति को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है जिस वजह से कई दफा वो डिप्रेशन में भी चला जाता है। वही इस तरह की समस्या का खात्मा जड़ से तो नहीं किया जा सकता लेकिन हां समय पर पता चलने पर इलाज के दौरान व्यक्ति को फ़ायदा दिलवाया जा सकता है।

A Message By Dr. Sukhdeep Jhawar About The Awareness Of Brain Stroke
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